अपने यहां पब्लिक की याद्दाश्त इतनी कमज़ोर होती है कि एक ही खबर तीस बार अलग अलग पैकेजिंग से चलाई जा सकती है. तथ्यों में हेरफेर कर के एक पूरी नई खबर गढ़ी जा सकती है. फिर बस एक काम बचता है – उसे सोशल मीडिया पर चिपकाना. यहां खबर चलती नहीं है, वायरल होती है. लोग बिना तस्दीक किए ‘खबर’ शेयर कर देते हैं, राय बना लेते हैं.
ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसके आधार पर ‘गुजरात मॉडल’ पर सवाल उठाया जा रहा है. उस वीडियो के कुछ स्क्रीनशॉट हम यहां दे रहे हैंः
वीडियो में एक लड़के और लड़की को निर्वस्त्र कर के घुमाया जा रहा है. पहले लड़की को लड़के के कंधे पर बैठने पर मजबूर किया जाता है, फिर लड़के को लड़की के कंधे पर बैठाया जाता है.
उन्हें घुमाते हुए लोग ढोल पीट रहे हैं, शोर मचा रहे हैं. जब वो गिर जाते हैं तो उन्हें पीटा जाता है. इसी भीड़ में से कुछ लोग वीडियो बना रहे हैं.
फेसबुक पर इस वीडियो को शेयर करते वक्त सवाल किया गया है, कब रुकेगा दलितों पर अत्याचार? इस तरह देखने पर ये लगता है कि ये ऊना कांड की तरह की ही एक और घटना है जिसमें दलितों पर अगड़ी जातियों के लोगों ने अत्याचार किए हैं.
गुजरात में साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं. वहां ऊना कांड जैसी घटनाएं भी हुई हैं जिनके बाद राज्य में दलितों पर होने वाले अत्याचार पर देशभर की नज़र पड़ी. यही वजह है कि दलितों पर अत्याचार के बताए जा रहे इस वीडियो को अब तक 66000 से ज़्यादा बार देखा जा चुका है और 1100 से ज़्यादा बार शेयर किया जा चुका है.
असल बात ये है
लल्लनटॉप ने इस वीडियो का तियां-पाचा मालूम किया. तब मालूम चला कि गुजरात मॉडल पर सवाल उठाते हुए शेयर किया गया ये वीडियो दरअसल गुजरात का है ही नहीं. वीडियो राजस्थान के बांसवाड़ा का है. 19 अप्रैल 2017 को यहां के शंभूपुरा गांव में कचरू और कंचन (बदला हुआ नाम) को निर्वस्त्र कर के गांव भर घुमाया गया था और उनके साथ मारपीट हुई थी.
मारपीट करने वालों में लड़के और लड़की के पिता, चाचा और दूसरे रिश्तेदार भी शामिल थे. इन्होंने अपने ही बच्चों के साथ ऐसा इसलिए किया क्योंकि ये दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे. दोनों आदिवासी समाज से आते थे और गुजरात में दिहाड़ी मजदूरी का काम करते थे, जहां इन्हें एक दूसरे से प्यार हुआ और इन्होंने शादी करने का मन बना लिया. ये बात इन्होंने अपने घर नहीं बताई क्योंकि इन्हें लगता था कि इनके मां-बाप इस रिश्ते की इजाज़त नहीं देंगे. जब लड़की के रिश्ते की बात कहीं और चली, तो दोनों भाग गए. गांव वालों ने पुलिस को खबर करने की बजाए खुद इन्हें ढूंढा और गांव ले आए. इनके रिश्ते को गांव की बेइज़्ज़ती समझा गया. और इस ‘जुर्म’ के लिए इन्हें गांव भर निर्वस्त्र कर के घुमाने की ‘सज़ा’ सुनाई गई. कुछ लोगों ने इस कवायद का वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया.
वीडियो वायरल होने पर पुलिस तक पहुंचा और फिर पुलिस ने इस मामले में 18 लोगों की गिरफ्तारी की. 20 और 21 अप्रैल को इस घटना की कवरेज स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया ने की थीः
बीबीसी हिंदी
कोबरा पोस्ट
न्यूज़ 18
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि लड़का और लड़की अलग-अलग जातियों से आते थे. कुछ जगह कहा गया कि दोनों चचेरे भाई बहन थे. दोनों सूरतों में रिश्ता ‘समाज’ को मंज़ूर नहीं था. लेकिन कुछ बातें बिलकुल साफ हो जाती हैंः
1. वीडियो वाला वाकया राजस्थान का है, गुजरात का नहीं.
2. वीडियो में दिख रहा जोड़ा दलित नहीं बल्कि आदिवासी समाज से आता है.
3. मामला अगड़ी जातियों के दलितों पर अत्याचार का नहीं बल्कि अपनी मर्ज़ी से साथी चुनने वालों को ‘सबक’ सिखाने का था.
ये सब कहने का मतलब ये कतई नहीं है कि वाकया गुजरात का नहीं है तो उसे हल्के में लिया जाए या फिर एक दलित जोड़े की जगह एक आदिवासी जोड़े को निर्वस्त्र कर के पीटा जाना कम निंदनीय है. प्यार करने की सज़ा के तौर पर किसी को इस तरह से शर्मसार करना हर तरह से गलत है. लेकिन ‘गुजरात’ और ‘दलित’ शब्द इस वाकये को एक बहुत दूसरा मतलब दे देते हैं.
तो कुल जमा बात ये रही कि इस वीडियो को गुजरात में दलितों पर हो रहे अत्याचार का नमूना बताने वाले आपको बरगला रहे हैं.