हे शारदे मां
ज्ञान का प्रकाश दो
वरदान दो।
हे ब्रह्म ज्ञानी
ज्ञान ज्योति हमारी
करो जागृति।
नन्ही तितली
रंग कर हथेली
फुर्र हो चली
प्रेम से भरा
समंदर के जैसा
दिल बावरा।
हिम की पुत्री
कल-कल करती
सिंधु से मिली।
नदी का नाच
बसा बसाया गांव
ले गई साथ।
एहसासों में
अठखेली करता
मन बावरा।
जीवन भर
एहसासों का मेला
साजन घर।