श्याम आते गोकुल में, धूम मची चारों ओर।
बाबा झूलाये झुला, मैया खींचे डोर।
चले गोकुल के धाम, मथुरा के घनश्याम
झूमें नाचें गाएँ आज, आई है शुभ घड़ी
पालना है चन्दन का,श्रृंगार हीरे मोती का
श्याम की लेके बाँसुरी, जोगन द्वार खड़ी।
लाई जी मेरे श्याम की, जिसपे जड़ें हैं मोती
छोटी सी मोरपंख की, लाल पीली पगड़ी।
मैं तो वारी-वारी जाऊँ, बलि हारी-हारी जाऊँ
गिरधारी की नजर उतारूँ घड़ी-घड़ी।
जरा मटक-मटक, चले ठुमक-ठुमक
सुन पैंजनी की धुन, गोपियां भी भटकी।
यमुना के तट पर, बांसुरी की धुन पर
सुध-बुध खोये सब, कलियाँ भी चटकी।
ग्वालबाल टोली संग, ग्वालिन को करें तंग
छुप-छुप आके खाए, माखन की मटकी।
आगे-आगे हैं कन्हैया, पीछे-पीछे चले गैया
अद्भुत छटा देखके, साँझ बेला अटकी।