अमर
जिसका सुहाग
शहीद की पत्नी
कहलाती है
वीरांगना।।
विधवा
का रंग
सफेद है कहलाता
उज्जवल उसे
बनाता।।
विधवा
प्रेम तपस्वनी
जाने क्यों कहते
लोग उसे
अभागिनी।।
अकेले
मां-बाप
बेटे की विधवा
परिवार का
कुलदीप।।
पहले
एक परी
अंधियारे से डरती
आज हारता
अंधियारा।।
सतरंगी
जीवन को
श्वेत रंग करता
रंगों से
मुक्त ।।
(सायरी छंद)