हिंदी के साहित्य में, ज्ञान भरा संसार
स्वर-व्यंजन के रूप में, शब्दों की टंकार।
वर्ण-वर्ग की गागरी, शब्द नये छलकाय
गद्य-पद्य की सभ्यता, समृद्धि इसे बनाय।
शब्दों के शब्द कई, अर्थों के अर्थ अनेक
इतनी सरल, सहज, सुगम, जान सके हर एक।
मात्र भाषा से मिलता, हमें विश्व का ज्ञान
विश्व धरातल पर बने, हम सबकी पहचान।
निज भाषा में छनकते, शब्द बड़े अनमोल
सुन बन्धु मां की ममता, मौसी प्रेम न तोल।
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं, हम सबका अभिमान
यूं ही सदा बनी रहे, भारत मां की शान।
जन-जन के साथ रहती, देवनागरी वेश
अनेकता में एकता, एक हमारा देश।
#देवी