सांस थमती नहीं दर्द जाता नहीं
जो दिया जिन्दगी ने वो भाता नहीं
रो रही आँख हैं अश्रु आता नही
याद हैं उसकी पर उससे नाता नहीं
यूँ कैसे करें जिंदगी का सफर
आँख मे और कोई समाता नहीं
रास्ते जो मिले छूटते ही रहे
लोग कितने मिलें रूठते ही रहे
सांप था ही नहीं रस्सियाँ थी वहाँ
रस्सियों को भी हम कूटते ही रहे
स्वप्न था रात थी चांद था बात थी
कोई था ही नही सिसकियाँ साथ थी
इन उजालों ने हमको यूँ धोखा दिया
रात बीती नहीं और सुबह कर दिया
स्वप्न जन्मा अचानक मरण हो गया
जिंदगी तो मिली पर क्षरण हो गया