मै आपका सौरव वैष्णव आज हम जानेगे की.. महाभारत का युद्ध 18 दिन ही क्यो चली? चलो जानते है महाभारत की युद्ध मे 18 की संख्या का अत्यंत महत्व है। ऐसा इस लिए क्योकि महाभारत ग्रंथ मे कुल 18 अध्याय है। भ
11. काशी के कण में बसा, महिमा अपरम पार। अति सूक्ष्म ये रहस्य है, वेदों का ये सार।। 12. जिया अगर तो क्या जिया, जो न किया शिव ध्यान। माटी की इस गात पर, मिथ्या करता मान।। 13. छप्पन भोग क्षुधा नही
*सनातन धर्म में प्राकृतिक शिवलिंग पूजा का विशेष महत्व है ! विशेषकर स्वयंभू (स्वयंसिद्ध) शिवलिंग पूजा से गहरी धार्मिक आस्था जुड़ी है ! ऐसे ही प्राकृतिक और स्वयंभू शिवलिंगों में प्रसिद्ध है- बाणलिंग अ
6. जब बाबा काशी गए, गौरा भयीं अधीर। अन्न, अंबु, घर तज दिया, अक्ष बहे झर नीर।। 7. कंठ हार भोले सजे, है परम मूल्य वान। भक्त अपरिमित वासुकी, न करे कोई मान।। 8. शिव पूजन का नाग का, है पहला अधिकार।
1. सर्प हार पहने गले, माला सोहे मुंड। बाघंबर तन पे सजे, भाल मध्य त्रिपुंड।। 2. सावन में गौ रस चढ़े, होता जल अभिषेक। भांग, धतूरा , मधु चखें, रख बाबा बहु भेष।। 3. चोट लगी रोया नही, बहुत बड़ा तू
हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति की गहराई और समृद्धि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हमारे धार्मिक ग्रंथों में छिपा हुआ है। उपनिषद, जो वेदों के अंतिम भाग के रूप में प्रसिद्ध हैं, ज्ञान और आत्मा की गहरी खोज के प्
खुश रहिये,मुस्कराइएदुखी होने के कारण हज़ार हैंखुश रहने की चाबी आपके पास हैक्योंकि खुश रहने के कारण अपार हैं।मुस्कराइए, आभार मानिए ईश्वर का किआप के पास दो आंखें दो हाथ हैंदो पैर और खाने के लिए दाँत हैंव
प्रणाम सिस्टर , हाँ, सुबह नींद खुलते ही हम परमात्मा को थैंक्स कहे । आज हमारी नींद खुल गई आज हम फिर जीवित है हमें एक मौका जीवन जीने का और दिया है। इस संसार में तो कई लोग रात सो
माँ हम जिसे पूजते है उसे कई रुपो में मानते है। कोई माँ कहता है कोई ईश्वर कोई परमात्मा कोई भगवान तो कोई अल्लाह कहता है। उस निराकार को लोग दो रुपो में विभाजित करते है एक पुरुष रुप व एक स्त्रैण रुप। इस
प्रणाम गुरुदेव , हाँ, प्रार्थना में वो शक्ति है जो हमको सम्बल व शक्ति प्रदान करता है। अपने आस पास पूजा व प्रार्थना करते हम देखते है क्या ये यही प्रार्थना है। हम प्रेयर में क्य
प्रणाम सिस्टर, येस, हम किसी को दोष क्यो दे जबकि सारा हमारा किया कराया है । हमारे अन्दर जरुर फूलो का खज़ाना होना चाहिए न कि काँटो का। शुभ सोचेंगे ,शुभ करेंगे तो वही वापस होकर बर
प्रणाम सिस्टर, Yes; हम प्रसन्न आत्मा है। हम शांत है ही शांत होना हमारा स्वभाव है। हमारे परिधि में कुछ भी होता रहे पर केन्द्र में कोई हलचल नही होता वह अछुता है सुख दुख उसके लिए
प्रणाम सद्गुरू; जब मन व शारीरिक शक्ति एक हो जाए तो निश्चित ही व्यक्ति सफलता को प्राप्त करता है । लेकिन कहते हैं हमारे पास एक और शक्ति का स्रोत है जो जितना उपयोग होता है उतनी सामर
प्रणाम सद्गुरू, हाँ ;यदि हम निरंतर ये याद रखे की इस पृथ्वी पर हम मेहमान है कुछ समय के लिए आए हैं तो हमारा कदम अच्छाइयों की ओर होगा। हम बेकार चीजो में उलझे रहते है जबकि हमे यहाँ अधिक समय तक रहना न
सुख की खातिर मैं भटकी थी यहां-वहां पर हे शिव-शंकर सुख तो तेरे में साथ में जब भी नाम तुम्हारा जपती हूँ तो सुख सुनती हूँ अपनी ही आवाज़ में | सुकून की ख़ातिर भटकी थी
हे ईश्वर ! आपने जो मुझे दिया उसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया | आज ये कविता जो मैंने लिखी है मेरा लक्ष्य सिर्फ एक ही है | मेरे मन में छपे और इस पन्ने पर लिखे अक्षरों को आप पढ़
प्रणाम सिस्टर, मन मालिक हो जाता है जबकि मन को नौकर होना चाहिए। ये तादात्म्य टूटता ही नही जीवन भर आदमी मन की गुलामी करता रहता है। अधेड़ उम्र के होने पर भी जो बच्चे जैसा सरल स्वभाव वाला
प्रणाम सद्गुरू , Meditation अच्छे व बुरे में फर्क करा देता है।दुध का दुध व पानी का पानी कर देता है। "ध्यान" को हमको समझना होगा। इन्सान अपने शरीर व मन से जुड़ा रहता है वह अपने को अलग समझ
प्रति, तेजस्वी जी🕯 सादर नमस्कार🙏 हर मनुष्य किसी न किसी धर्म में जन्म लिया है। जन्म के पहले वह किसी भी धर्म का नही था बल्कि एक मनुष्य था।जैसे ही संसार से जुड़ा वह हि
नानी बाई रो मायरो नानी बाई ने (मायरा) भात भरने के लिए नरसी जी को बुलाया। नरसी जी के पास भात भरने के लिए कुछ नहीं था. वह निर्धन थे लेकिन भगवन की भक्ति का खजाना भरपूर था. वो कहते थे कि - हम्हे अपनी चिंत