खुश रहिये,मुस्कराइए
दुखी होने के कारण हज़ार हैं
खुश रहने की चाबी आपके पास है
क्योंकि खुश रहने के कारण अपार हैं।
मुस्कराइए, आभार मानिए ईश्वर का कि
आप के पास दो आंखें दो हाथ हैं
दो पैर और खाने के लिए दाँत हैं
वरना बहुत से लोग इनके मोहताज़ हैं।
मुस्कराइए, आभार मानिए ईश्वर का कि
आपके पास रहने का आवास है
पहनने के कपड़े और खाने को भोजन है
वरना बहुत से लोग खुले आसमान के साथ हैं।
मुस्कराइए, आभार मानिए ईश्वर का कि
आपके पास माता-पिता,परिवार है
अच्छे अच्छे दोस्त और रिश्तेदार हैं
वरना बहुत से बिन इनके बेज़ार हैं।
इसलिए हँसिए मुस्कराइए ठहाका लगाइए
खुशियाँ बाँटिए, किसी की खुशी का आधार बनिए
याद रखिए जो प्राप्त है वो पर्याप्त है
नहीं तो दुनिया में बहुत कुछ व्याप्त है।
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर(म.प्र.)🇮🇳