हे रुद्र महा रुद्रा महाकाल नमस्तुते शूलपाणि पिनकधारी महादेव नमस्तुते शशिशेखरा शंकरा महाकाल नमस्तुते श्री कंठा नीलकंठा शितिकंठा नमस्तुते वीरभद्रा सोमभद्रा विश्वस्वरा नमस्तुते पशुपति महादेव देवादिद
जटा जूट शेखरम्,
ग्रीवा भुजंग महेश्वरम्
शीश गंग, भाल चंद्र,
शिवषडाक्षर स्तोत्रम्कर्पूगौरं करुणावतारंसंसारसारं भुजगेन्द्रहारम् |सदावसन्तंहृदयारविन्दे भवं भवानी सहितन्नमामि ||आज गुरूवार - श्रावणमाह का प्रथम प्रदोष - भगवान शिव की पूजा अर्चना का दिन | प्रदोषकाल में सायं पाँचबजकर दस मिनट के लगभग त्रयोदशी का तिथि का आगमन हो जाएगा | सभी जानते हैं कि प्रत्येकमाह के
*महादेव की बिल्व पत्रों से पूजा*〰〰🌼〰🌼〰🌼〰〰त्रिदेवों में भगवान शिव को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाला माना गया है। भगवान शिव को ‘भोलेनाथ’ और ‘औघड़’ माना गया है जिसका तात्पर्य यह है कि वो किसी को बहुत अधिक परेशान नहीं देख सकते और भक्त की थोड़ी सी भी परेशानी उनकी करुणा को जगा देती है।नीलकंठ रूपेण करुणामय
कुभ एवं अर्द्ध कुम्भ आज 11 मार्च महा शिवरात्रि, हरिद्वार में कुंभ के अवसर पर शाही स्नान हुआ| डॉ शोभा भारद्वाज पुराणोंमें वर्णित पोराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं एवं दानवों ने मिल के समुद्र मंथनकिया था तय था समुद्र मंथन से जो रत्न निकलेंगे दोनों पक्ष मिल कर बाँट लेंगेमन
अक्षर अच्युत चंद्र शिरोमणिविष्णुवल्लभ योगी दिगंबरत्रिलोकेश श्रीकंठ शूल्पाणिअष्टमूर्ति शंभू शशिशेखर।ॐ प्रणव उदघोष अभ्यंतरऊर्जित परम करे उत्साहितअनादि अनंत अभेद शाश्वतकण-कण में वह सदा प्रवाहित।।अज सर्व भव शंभू महेश्वरनीलकंठ हे भीम पिनाकीत्रिलोकेश कवची गंगाधरपरशुहस्त हे जगद्वयापीॐ निनाद में शून्य सनातन
महेश्वर सूत्र माहेश्वर सूत्रों की उत्पत्ति भगवान नटराज (शिव) के द्वारा किये गये ताण्डव नृत्य से मानी गयी है|नृत्तावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम्|उद्धर्त्तुकामो सनकादिसिद्धादिनेतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम्||अर्थात:- नृत्य (ताण्डव) के अवसान (समाप्ति) पर नटराज (शिव) ने सनकादि ऋषियों की सिद्धि और क
शिवपुराण मेंकोरोना वायरससोशल मीडिया में एक बात दावा तेजी से वायरल हो रही हैऔर उसमें दावा किया जा रहा है कि यह मन्त्र शिवपुराण का है और इसमें भगवान शिव सेप्रार्थना की गई है कि हे महादेव आप करुणा के अवतार हैं, रुद्ररूप हैं, अशुभ का संहार करने वाले हैं,मृत्युंजय हैं | आज कोरोना जैसे वायरस ने महामारी फै
हरिद्वार में कांवड़ियों का बड़ा सैलाब:-हर साल की तरह इस बार भी श्रावण महिने में भगवान शिव शंकर, महादेव के नाम पर हर-हर महादेव, बोल बम, बम-बम और जय शिव शंकर के जयकारों से पूरे देश में शिव जी की भक्ति का मस्त माहौल बना हुआ है। इस महिने श्
ऐसी बहुत सी ऐतिहासिक चीजें हैं जो आज भी इस जमीन में दफन है और हमें हमारी पुरानी सभ्यता और उनसे जुड़े किस्से-कहानियों की याद दिलाती है।अक्सर पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई के दौरान मिली चीजों को देखकर हमारे होश उड़ जाते हैं। छत्तीसगढ़ में भी कुछ ऐसा ही हुआ यहां के सिरपुर में हुई खुदाई से पुरातत्व विशेषज
शिवस्तुति:आज श्रावण कृष्ण त्रयोदशी / चतुर्दशी को प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि कापावन पर्व है | हम सभी ने देखा काँवड़ में गंगाजल भर कर लाने वाले काँवड़यात्री शिवभक्तों का उत्साह | न जाने कहाँ कहाँ से आकर पूर्णश्रद्धा के साथ हरिद्वार ऋषिकेश तक की लम्बी यात्रा करके ये काँवड़
अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह कश्मीर राज्य के श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में 135 सहस्त्रमीटर दूर
कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में पुरे वर्ष में कुल 12 शिवरात्रियां आती है जिनमे से सबसे मुख्य महाशिवरात्रि को माना जाता है। लेकिन इसके अलावा भी एक शिवरात्रि है जिसे हिन्दू धर्म में बहुत श्रद्धा के
लोकसभा में नो-ट्रस्ट वोट से पहले सभी की आंखें शिवसेना पर टिकी हुई हैं। हालांकि, पार्टी इस मुद्दे पर अभी भी रहस्य बनाए हुए है| शुक्रवार की सुबह आउटलुक से बात करते हुए शिवसेना के सांसद भावाना गवली पाटिल ने कहा कि पार्टी के
हिंदू धर्म में सावन का महीना काफी पवित्र माना जाता है। इसे धर्म-कर्म का माह भी कहा जाता है। सावन महीने का धार्मिक महत्व काफी ज्यादा है। शास्त्रों के अनुसार बारह महीनों में से सावन का महीना विशेष पहचान रखता है। इस दौरान व्रत, दान व पूजा-पाठ
देश में सनसनी फैला रहे बाबाओं के कारनानों पर पढ़िए खांटी खड़गपुरियातारकेश कुमार ओझा की नई कविता...बाबा का संबोधन मेरे लिए अब भीहै उतना ही पवित्र और आकर्षकजितना था पहलेअपने बेटे और भोलेनाथ कोमैं अब भी बाबा पुकारता हूंअंतरात्मा की गहराईयों सेक्योंकि दुनियावी बाबाओं के भयंकर प्रदूषणसे दूषित नहीं हुई द
जो पाप-पुण्य से सदा परेजो जन्म-मृत्यु से सदा महान,सुख भी उसका, दु:ख भी उसकासबको देखे एक समानजो पीकर अपमान का बिष, दे सबको जीवन का वरदानखुद रहकर शमशान में जोसोने की लंका दे दे दान जटा में जिसकी गंगा की धाराहै जिससे यह संसार साराहै काल भी