शिवपुराण में
कोरोना वायरस
सोशल मीडिया में एक बात दावा तेजी से वायरल हो रही है
और उसमें दावा किया जा रहा है कि यह मन्त्र शिवपुराण का है और इसमें भगवान शिव से
प्रार्थना की गई है कि हे महादेव आप करुणा के अवतार हैं, रुद्र
रूप हैं, अशुभ का संहार करने वाले हैं,
मृत्युंजय हैं | आज कोरोना जैसे वायरस ने महामारी फैलाई हुई है उससे हमारी रक्षा
कीजिए | साथ ही यह भी दावा किया जा रहा है कि इस वायरस का जन्म चीन देश में हुआ है, मांसाहार के कारण हुआ है, और आज इसने सारे संसार को
त्रस्त किया हुआ है | इस कोरोना वायरस से हमारी रक्षा कीजिए | इसका एक audio
भी साथ ही वायरल हो रहा है | कई मित्रों ने हमसे पूछा कि क्या
वास्तव में यह मन्त्र शिव पुराण से है ? सम्भवतः वे लोग इसलिए भी पूछना चाहते
होंगे कि यदि शिव पुराण से हो तो इसका जाप आरम्भ कर दिया जाए |
तो यहाँ सबसे पहले तो एक बात कहना चाहेंगे कि ईश्वर से
अपने कष्टों के समाधान के लिए प्रार्थना करना, मन्त्र का जाप करना कोई बुरी बात
नहीं है – बल्कि ऐसा करने से एक प्रकार का मानसिक सम्बल प्राप्त होता है, क्योंकि
अधिकाँश में मनुष्य धर्मभीरु है | तो आप निशंक होकर इस मन्त्र का भी जाप कर सकते
हैं | नवरात्र चल रहे हैं तो बता दें कि श्री दुर्गा सप्तशती में तो इस प्रकार के अनेकों
श्लोक उपलब्ध होते हैं जिनमें रोगों तथा अन्य सभी प्रकार की आधी व्याधियों से जन
साधारण की रक्षा की बात कही गई है:
दुर्गे स्मृता हरसि
भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि | दारिद्रयदुःखभयहारिणि
का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्र चित्ता ||
अर्थात, हे देवी, आप सभी प्राणियों
के भय को हर कर स्वस्थ व्यक्तियों द्वारा चिन्तन करने पर उन्हें परम कल्याणकारी
बुद्धि प्रदान करती हैं | आप दुःख दारिद्र्य को हरने वाली तथा सब पर उपकार करने के
लिए आपका चित्त सदा ही दया से आर्द्र रहता है |
सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके |
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ||
अर्थ स्पष्ट है |
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे |
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु
ते ||
अर्थात, शरणागतों, दीनों एवं पीड़ितों की रक्षा में संलग्न रहने वाली तथा सबकी पीड़ा दूर करने वाली
नारायणी देवी आपको नमस्कार है |
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते
|
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवी
नमोऽस्तु ते ||
अर्थात, आप सर्वस्वरूपा हैं, सर्वेश्वरी हैं तथा समस्त
प्रकार की दिव्य शक्तियों से सम्पन्न दिव्य रूपा हैं, हमारी
सभी भयों से रक्षा कीजिए, हम आपको नमन करते हैं |
और निम्नलिखित मन्त्र तो है ही रोगनाश
के लिए...
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु
कामान् सकलानभीष्टान् |
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ||
अर्थात, हे देवी ! आप प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हैं और कुपित
होने पर मनोवांछित सभी कामनाओं का नाश कर देती हैं | जो लोग आपकी शरण में हैं,
उनपर विपत्ति तो आ ही नहीं सकती तथा ऐसे लोग अपनी शरण में आए हों को
भी शरण दे सकते हैं |
इसी प्रकार के बहुत से मन्त्र न केवल
दुर्गा सप्तशती में बल्कि बहुत से वैदिक ग्रन्थों में उपलब्ध होते हैं | और जैसा
कि ऊपर लिखा, मन्त्र जाप श्रेष्ठ होता है | तो जो
मन्त्र इस चित्र में दिया गया है वह तो किसी व्यक्ति ने बनाया ही कोरोना के
सम्बन्ध में है और उसका जाप यदि आप करना चाहें तो अवश्य कीजिए | सम्भव है उससे लाभ
भी हो | किन्तु, यह मन्त्र शिव पुराण का कदापि नहीं है, किसी व्यक्ति ने स्वयं इसकी रचना करके शिव पुराण के नाम से इसे प्रचारित
कर दिया है | अच्छा होता यदि वह रचनाकार अपने स्वयं के नाम से ही इसका प्रचार करते, क्योंकि उन्होंने संसार के कल्याण की कामना से इस मन्त्र की रचना करके एक
महान कार्य किया है |
बहरहाल, नवरात्र के दिनों में माँ भगवती सहित सभी देवी देवताओं से यह प्रार्थना
तो की जा सकती ही है कि समस्त संसार को इस कोरोना नाम की आपत्ति से मुक्ति प्रदान
करें | और विश्वास कीजिए, सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएँ कभी
निष्फल नहीं जातीं – किन्तु उसके साथ हमें अपने वैज्ञानिकों और डॉक्टर्स द्वारा
दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करना नहीं भूलना चाहिए – जैसे, साफ़ सफाई का ध्यान रखना, सामाजिक दूरी बनाए रखना
इत्यादि | यदि ऐसा नहीं किया तो सारे मन्त्र निष्फल हो जाएँगे |