ईमानदारी जिंदा है अभी तक
आदरणीय राणोजी नमस्कार
!
पिछले एक महीने से मैं लगातार सोच रहा था कि, आपको
किस प्रकार से शुक्रिया अदा करूँ, लेकिन समझ नहीं पा रहा
था। इस भागती-दौड़ती स्वार्थी और मतलबी दुनियां में आपकी ईमानदारी और सरल स्वभाव मेरे लिए एक सुखद एहसास ही नहीं बल्कि
आर्थिक रूप से भी लाभकारी रहा है। मैंने ऑनलाइन अपने मोबाइल पर रिचार्ज किया था जो कि सिर्फ एक नंबर गलत लगने के कारण आपके
मोबाइल पर हो गया था और मैंने इसे तीन-चार दिनों बाद देखा तो पता चला कि ये
तो गलत नंबर पर हो गया। वोडाफोन कंपनी के कस्टमर-केयर से बात
करने पर भी कोई हल नहीं निकला और मैंने आपको कॉल किया था। प्रथम तो आपने मेरी बात
को नकार दिया जो कि आपकी गलती नहीं थी,
परंतु
दो घंटे बाद आपका मेरे पास फोन आया और आपने बताया
कि आपके मोबाइल पर चारसौ रुपए का बैलेन्स आ गया है और आपको किसी दूसरे के हिस्से का पैसा नहीं चाहिए और आप मेरे
मोबाइल पर दुबारा रिचार्ज करवा देंगे।
मेरे मन में
पता नहीं क्यों आपकी इस बात से तस्सली हुई कि चलो कोई बात नहीं अगला स्वीकार तो कर
रहा है, लेकिन जब दस दिनों तक मेरे मोबाइल पर बैलेन्स नहीं आया तो मुझे लगा कि जैसा आजकल सभी करते हैं वैसे ही आपने भी किया होगा, पर मन ने कहा एक बार आप से बात करनी
चाहिए। आपसे बात होने के बाद आपने मेरे मोबाइल पर रिचार्ज करवा दिया। मैं आपकी इस बात से बहुत प्रभावित हुआ हूँ। सिर्फ इसलिए
नहीं कि मुझे हुए
आर्थिक नुकसान से आपने बचा लिया बल्कि इसलिए प्रभावित
हुआ हूँ कि आज भी ईमानदारी जिंदा है। राणाजी मुझे
नहीं पता मैं आपसे कभी मिल भी सकूँगा या नहीं पर आपसे मिलने की मुझे हमेशा ईच्छा रहेगी। आपकी ईमानदारी ने मुझे आज के
इस दौर में जीने की नई उमंग दी है और दुनियां के प्रति सकारात्मक नजरिया भी दिया है कि सच्चाई अभी जिंदा है। ईश्वर आपकी ये सच्चाई और ईमानदारी बनाए
रखे और सभी को ऐसी ही ईमानदारी दे।
आपका अनजान
मित्र ।
मनोज
चारण “कुमार”
रतनगढ़ (चूरु) राज.