तुम रजधानी में आये आकर माता को गाली दी।
उस माँ को गाली दे डाली, जिसने तुमको थाली दी।
भरी हुई थाली में तुमने छेद किया है बोली से।
इससे बेहतर हत्या कर देते बंदूक की गोली से।
सीमा पार के आतंकी सीने पे हमने झेले है।
कौन बचाये सांपो से बांहो में जो फन फैले हैं।
जिनकी बातें जहरीली, सांसो में गरल उफनता है।
कहदो उन गद्दारों से सीने में देश धङकता है।
भारत माँ की जय का नारा सांस सांस में रहता है।१।
पंजाबी गेहूं खाते हो, धान बिहारी खेतों का।
यूपी वाला गुङ खाते हो, खांड मराठी खेतों का।
एमपी के मक्के की रोटी, भाती सबको भोजन में।
बंगाली रसगुल्ला देखा लार टपकती योजन में।
चंदन वाली खुसबू तुमको मिलती है कर्नाटक से।
भांत-भांत के कपङे मिलते हैं गुजराती हाटक से।
कोयला आता झारखंड से, लोहा टाटा मंडी से।
हरयाणा से अन्न घणेरा शाक हिमाचल मंडी से।
रजथानी रणबंके करते रक्षा तेरी शिखंडी से।
जाके कह दे गैरों से जिनपे इतराया फिरता है।
भारत माँ की जय का नारा सांस-सांस में रहता है।२।
जब जब आंधी आई वहां पे, हमने भेजी सौगातें।
तूफानों में लाज बचायी जब छायी काली रातें।
हमने झेला उन बाढ़ों को, जो तुम पर ही छायी थी।
झेल गए उन भूकम्पों को, मौत तुम्हारी आयी थी।
सैंतालिस के हमले में दुश्मन घाटी पर छाए थे।
पैंसठ में भी तन-तन कर वो कातिल घर में आए थे।
इक्कहत्तर की बात अलग, वो सारी बातें भूल गए।
करगिल के हत्यारों की, बाहों में जाकर झूल गए।
सौगातें भूला तूं मेरी, नफरत जहर उगलता है।
भारत माँ की जय का नारा सांस-सांस में रहता है।३।
हमसे ही जिंदा है तेरी, सारी की सारी रातें।
हम बिन तेरा दिन अधूरा और अधूरी है बातें।
हम तो माने तुझको अपना, दे देतें हैं सौगातें।
पर तुम मार रहे हो कबसे खींच-खींच कर के लातें।
घाटी जो जिंदा है अब तक, बस मेरी खुद्दारी है।
सिर्फ घाटी का ही खर्चा, ये पूरे देश पर भारी है।
जिस दिन जाम लगाया मैने, जम्मू वाले रस्ते में।
घुटनों पे आ जाओगे तुम, मत ले लेना सस्ते में।
चिंटी सी हस्ती है तेरी, झूठे पंख पसरता है।
भारत माँ की जय का नारा सांस-सांस में रहता है।४।
अब भी जो तूं नहीं सुधरा तो, मुंह के बल की खाएगा।
गैरों के दम पर दम भरता, घुटनोंके बल आएगा।
सेना को जो छुट्टी दे दी, हमने सिर्फ दो घंटे की।
काट देगी सेना सारी, जङ इस झगङे टंटे की।
गद्दारों की गद्दारी पे, चोट करो हथियारों से।
कह दो जा कर मिल जाये वो, पाकिस्तानी यारों से।
करते तुम कूकर्म तुम्हारे, पूरी कौम पे भारी है।
अश्फाकों के खून से रंगती, भारत माँ की साङी है।
हर हमीद के लहु में देखो, भारत तैरा करता है।
भारत माँ की जय का नारा सांस-सांस में रहता है।५।
मनोज चारण (गाडण) "कुमार"