मेरा देश तरक्की कर रहा है
आज लिखने को कुछ खास नहीं,मन अस्थिर है, उदास नहीं,क्या करूँकोई शक्ति मेरे पास नहीं,जो संभालसकूँ इस देश को,पर कुछ नहींकर पाता हूँ,और कुछ होनेकी भी आस नहीं।। मेरा देशतरक्की कर रह है,हम बाईसवीसदी मे जा रहे है,कल तक हमारेपास रिस्तों की भरमार थी,आज अकाल हैरिस्तों का,खो गए है,मुहल्ले के दादा-दादी, ताऊ-ताई,