भूमंडलीकरण के इस युग में, जबकि दो देशों के बीच की हजारों किलोमीटर की दूरी घर-आँगन सी सिमट गई है, हिंदी भाषा के करोड़ों पाठक विभिन्न प्रमुख देशों की भाषाओं में लिखी गई रोचक कहानियों को पढ़ने से वंचित रह जाएँ—यह समय के तकाजे के विरुद्ध लगता है। वैसे भी
आचार्य जी का यह प्रसिद्ध उपन्यास राम द्वारा लंका पर चढ़ाई से प्रारंभ होता है और सीता के भू प्रवेश तक चलता है। इसकी एक-एक पंक्ति, एक-एक दृश्य ऐसा जीवंत है कि पाठक को बरबस लगता है कि वह स्वयं उसी युग में जी रहा है। - बहुमुखी प्रतिभा के धनी आचार्य चतुरस
Kosambi Kalpana Se Yatharth Tak Read more
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी की प्रतिभा और उपलब्धियां अनेक क्षेत्रों में विशिष्ट रही। वह एक प्रख्यात वकील, संविधान निर्माताओं में से एक और अनुभवी प्रवक्ता रहे। अपने विद्यार्थी जीवन में वह श्री अरविन्दो से प्रेरित होकर, उत्साह से स्वतंत्रता संग्राम में क
संसार में उन्हीं मनुष्यों का जन्म धन्य है, जो परोपकार और सेवा के लिए अपने जीवन का कुछ भाग अथवा संपूर्ण जीवन समर्पित कर पाते हैं। विश्व इतिहास का निर्माण करने में ऐसे ही सत्पुरुषों का विशेष योगदान रहा है। संसार के सभी देशों में सेवाभावी लोग हुए हैं; ल
भारत में वैदिक चिंतन या दर्शन के अनुसार इस गहन व जटिल रहस्य को समझने के लिए परा तथा अपरा विद्या का नाम कहा गया। परा ब्रम्ह को जानने व साक्षात्कार करने की विद्या कहा गया और अपरा विद्या को जीवन के अन्य अनेक पक्षों को जीने की विद्या माना गया। भारत में आ
नमस्कार,, यहां एक पुस्तक केवल शब्दो को दर्शाती। किन्तु हमे ये देखना है कि पुस्तक के अंदर है क्या और समझना है हर एक कविता को। सच तो ये है हमारे जीवन को आधा बदल देती हैं ये किताब। जैसे धर्म के लिए शस्त्र उठना चाहिए वैसे ही इतिहास और रिश्तों को जानने
यह पुस्तक मनुष्य के अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता सम्बन्धी इसी नैसर्गिक अधिकार के संघर्ष से सीधे जाकर जुड़ती है, जो विवेच्य काल में भारत में, आवश्यक रूप से स्वतन्त्रता आन्दोलन से सम्पृक्त रहा था। वस्तुतः औपनिवेशिक भारत में प्रेस और मुद्रित साहित्य द्वारा
झूठा सच के दूसरे खंड 'देश का भविष्य' में स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद के दशक में देश के विकास और भावी निर्माण में बुद्धिजीवियों और नेताओं की प्रगतिशील और प्रतिगामी भूमिका का यथार्थ तथा प्रभावपूर्ण अंकन किया गया है। जयदेव पुरी और सूद प्रतिगामी शक्तियों
Devdasi ya Dharmik Veshya? Ek Punarvichar Read more
जीएससीएचजेके एचडीएफआईआई जीडीसीजेके उद्धी एचएफसीएचके एचजीएफसी जगक हफशिक यूडीएसडीएचजेके जेडीसीबीके
यह एक वीरांगना की कहानी है,
देश भक्ति व तिरंगा झण्डा एवं राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत वा केंद्रित नये कविताएं,शेर, शायरी(, दोहे पढ़िएगा वीर रस का आनंद लीजिए संपादन राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ मप्र) मोबाइल-9893520965
इस किताब मे देश की आजादी को लेकर व देश के वीर सपूतो के ऊपर लिखी समस्त रचनाओं को संग्रहित किया गया हैं।
वर्तमान के भारत की मनोदशा को देखते हुए मुझें अतीत के भारत का इतिहास याद आया.. क्या भारत जब भी इतना संमृद्ध था जैसा आज है. तब क्या हमारे भारत की भारतीय संस्कृति और संस्कार भी ऐसे ही थे जो आज है. हम कितने वाकिफ है अतीत के भारत से इन्ही सब बातों को मैंन
मैथिलीशरण गुप्त की प्रारम्भिक रचनाओं में 'भारत भारती' को छोड़कर 'जयद्रथ वध' की प्रसिद्धि सर्वाधिक रही। हरिगीतिका छंद में रचित यह एक खण्ड काव्य है। कथा का आधार महाभारत है। एका दिन युद्ध निरत अर्जुन के दूर निकल जाने पर द्रोणाचार्य कृत चक्रव्यूह भेदन के
छत्रपती संभाजी महाराज १) 120 युध्द सलग जिंकणारा एकमेव योध्दा (guinness world book record) २) भारतातील पहीला जहाज बांधनीचा कारखाना सुरू केला. ३)जैवीक अस्त्र वापरणारा जगातला पहीला योध्दा (ठिकाण- रामदारा, कोकण औरंगजेबाचे ३२,००० सैनिक मारले). ४) जंजिरा
*शिवविचार प्रतिष्ठान* *१६ आॅगस्ट इ.स.१६६२* "अण्णादी दत्तो प्रभूणीकर" हे वाकनिशी करत होते, त्यांना छत्रपती शिवरायांनी सुरनिशीचा हुद्दा सांगितला. *१६ ऑगस्ट इ.स.१६८१* आतापर्यंत केवळ मराठी मुलखाचीच नासधूस करणारा सिद्दी १६ ऑगस्ट पासून इंग्रजांनाही त्रास द