गिरिजा नंद झा
अभी तक तो लोगों को यही पता था कि देश मंे भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार है। मगर, जैसे जैसे दिन, महीने और साल गुजरते जा रहे हैं, यह भ्रम टूटता जा रहा है और जो तस्वीर उभड़ कर सामने आ रही है वह यह कि असल में यह सरकार जुमलों की सरकार है।
भाजपा एतद् द्वारा घोषणा करती है कि ‘ब्लैक मनी’ के बारे में जो बातें कही गई थी, वह जुमला मात्र है-भाजपा अध्यक्ष अमित शाह।
भाजपा एतद् द्वारा घोषणा करती है कि ‘अच्छे दिन आने वाले हैं’-यह महज़ चुनावी नारा था-केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर।
भारत गज़ब का देश है। गज़ब इस लिहाज़ से कि यह दुनिया का एकमात्र ऐसा लोकतांत्रिक देश है जहां जुमलों पर सरकार बन जाती है। भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां पर करोड़ों अनपढ़ और पढ़े लिखे लोग एक साथ दैनिक आधार पर इस्तेमाल करने वाले, जुमले का अर्थ समझने में भूल कर जाते हैं। भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां पर हर छोटे-बड़े विषयों पर मतभेद है। बावजूद इसके, सरकार बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए जुमलों पर एकमत हो जाते हैं। हैरत की बात यह भी है कि इस मामले में एकजुटता दिखाने के बाद पता चलता है कि वे सभी गंभीर रूप से अपने फैसले से असंतुष्ट हैं। यही भारत का असली सच है और वह सच है-‘अनेकता में एकता का’ और ‘सहमति के बीच गंभीर असहमति का’। सच में हम दावा करें या ना करें-भारत दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है जहां पर लोग छोटी-छोटी बातों को समझने में बरसों लगा देते हैं लेकिन, एक जुमला अगर भा जाए तो बरसों पुरानी और स्थापित राजनैतिक पार्टियांे को जमींदोज कर देते हैं।
भारत एक ऐसा देश है जहां चुनाव जीतने के लिए अलग जुमलों का इस्तेमाल होता है और सरकार चलाने के लिए अलग जुमले होते हैं। इस देश में 29 राज्य हैं, 7 केंद्र शासित प्रदेश इसमें शामिल नहीं है। केंद्र शासित प्रदेशों की शासन व्यवस्था सीधे केंद्र सरकार के हाथ में होती है, इसीलिए वहां पर बहुत ज़्यादा लोचा नहीं है। चूंकि सभी राज्यों में उसी पार्टी की सरकार नहीं होती, जो केंद्र की सत्ता में होती है और इसीलिए केंद्र और राज्य के संबंध भी इस बात पर निर्भर करती है कि दोनों जगहों पर एक ही पार्टी सत्ता में है या फिर अलग-अलग। हालांकि, इस देश में व्यवस्था को चलाने के लिए पूरी संवैधानिक और कानूनी व्यवस्था मौजूद है मगर, व्यवहारिक स्तर पर इसमें गंभीर अंतर या फिर यूं कहें कि मतभेद है। बात चाहे केंद्र-राज्य के संबंधों को ले कर हो या फिर कानून व्यवस्था को अमलीजामा पहनाने के मामलों की-हर जगह अंतर साफ दिखाई देता है। यही वज़ह है कि यहां पर चुनाव जीतने के लिए जुमलों पर जोर दिया जाता है, क्योंकि वस्तुस्थिति का सामना जुमलों से हो नहीं सकता और इसीलिए सरकार बनाने के बाद जुमले बदल जाते हैं।
भारत और भारतीयों की महानता इसी बात में है। किसी भी मुल्क की तरक्की और स्थिरता का आधार या तो राजनैतिक स्थिरता हो सकता है या फिर आर्थिक सौष्ठव। आर्थिक तौर पर संपन्न होने में वक़्त लग सकता है मगर, कागजी तौर पर 60 फीसद के करीब पढ़े लिखे लोगों के देश में राजनैतिक स्थिरता लाने में भूलचूक क्यों हो रही है, यह हैरान करने वाली बात है। हम माने या ना माने जिस तरह से राजनीकि व्यवस्था इस देश में कायम हो रही है, उससे देश का बेड़ा गर्त होना तय है। फिर भी अगर इस बात को दोहराना चाहते हैं तो दोहरा सकते हैं कि मेरा भारत महान! कुल मिला कर आला दजेऱ् के बेवकूफ हैं हम।