यह 'प्यार' मेरा ख्याल है
किसी जीवित या मृत से इसे मत जोड़ना
जीवित,मृत चेहरे तो बहुत गुजरे हमारी राहों से
पर मेरे ख्याल जैसा कोई नहीं था
…………।
तुम्हें अपलक देखना
तुम्हारे नाम पे हथेलियाँ रखना
बर्फ़ से घिरी वादियों में
तुम्हें कोट की तरह महसूस करना
गर्म चाय की उठती भाप से तुम्हें देखना
और कान के पास धीमे धीमे कुछ कहते जाना
मेरे जीने का सबब है
इस ख्याल के आगे तुम मेरी वही कल्पना हो
और मैं वही काल्पनिक हीर
न तुम्हारी उम्र हुई
न मेरी
चनाब के इर्दगिर्द हमदोनों की खिलखिलाहट आज भी गूँजती है