“मुक्तक”
कन्या देवी रूप कुमारी गौरी पूजन।
रूप मातु अनुरूप अलौकिक शोभा गुंजन।
कन्यादान महान विधान भारती जोड़ा-
सिंदूरी सौभाग अटल विश्वासी भू-जन॥-१
विवाहिता का रूप मांग सिंदूर सजाए
नवदंपति अनुरूप गृहस्ती मन हर्षाए।
परिवार परिधान बाग जस कोमल कलियाँ-
मंगल चरण प्रभात सूर्य रथ चलता जाए॥-२
महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी