"कुंडलिया"
मिलती जब प्यारी विजय, खिल जाता है देश।
वीरों की अनुगामिनी, श्रद्धा सुमन दिनेश।।
श्रद्धा सुमन दिनेश, फूल महकाए माला।
धनुष बाण गंभीर, अमर राणा का भाला।।
कह गौतम कविराय, विजय की धारा बहती।
भारत देश महान, नदी सागर से मिलती।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी