स्वागतम अभिनंदन
"मुक्तक"
साहसी अभिनंदन है, अभिनंदन वर्तमान।
वापस आया लाल जब, तबसे हुआ गुमान।
युद्ध बिना बंदी हुआ, भारत माँ का वीर-
स्वागत आगत शेर का, चौतरफा बहुमान।।-1
एक बार तो दिल दुखा, सुनकर बात बिछोह।
कैसे यह सब हो गया, अभिनंदन से मोह।
डिगा नहीं विश्वास था, आशा थी बलवान-
आया माँ की गोद में, लालन निर्भय ओह।।-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी