

दानापुर में बन रहे इस मॉल को लेकर है विवाद। (Express Photo)
चंदा यादव और अबू दोजाना के बीच हुए कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक निर्माणाधीन मॉल के 57 फीसदी हिस्से पर चंदा यादव का अधिकार होगा जबकि 43 फीसदी हिस्से पर डेवलपर का अधिकार होगा।
राजद अध्यक्ष लालू यादव और उनके परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और उस बारे में सीबीआई द्वारा की गई छापेमारी के बीच एक डील उजागर हुई है जो लालू यादव की बेटी चंदा यादव और उनकी ही पार्टी के विधायक सैयद अबू दोजाना के बीच हुआ है। दोजाना सीतामढ़ी के सुरसंड से विधायक हैं। इस डील के तहत अबू दोजाना को राजधानी पटना के दानापुर इलाके के सगुना मोड़ पर तीन एकड़ भूखंड पर मॉल बनाना है। इस मॉल को बिहार का सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल कहा जा रहा है। सीबीआई भी इस डील के रिकॉर्ड्स को खंगाल रही है।
चंदा यादव और अबू दोजाना के बीच हुए कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक निर्माणाधीन मॉल के 57 फीसदी हिस्से पर चंदा यादव का अधिकार होगा जबकि 43 फीसदी हिस्से पर डेवलपर का अधिकार होगा। चंदा और दोजाना के बीच यह एग्रीमेंट 05 मई 2016 को हुआ है। एग्रीमेंट में लिखा है, “शॉपिंग मॉल के डेवलपर को नन रिफंडेबल अमाउंट के तौर पर पांच करोड़ रुपये जमीन मालिक को देने होंगे। उनमें से एक करोड़ रुपये तुरंत देने होंगे और शेष चार करोड़ रुपये की राशि बराबर किस्तों में देने होंगे। अगर डेवलपर नन रिफंडडेबल सिक्योरिटी जमा करने में नाकाम रहा तो उसे 18 फीसदी ब्याज की दर से विलंबित अवधि का भुगतान करना होगा।”
एग्रीमेंट में आगे लिखा है, “अगर डेवलपर 48 महीनों के अंदर मॉल बनाने में नाकाम रहा तो उसे 6 महीने का अतिरिक्त समय दिया जाएगा लेकिन उसके बाद उसकी हिस्सेदारी प्रतिवर्ष एक फीसदी कम होजाएगी। यानी नाकाम होने पर एक साल बाद डेवलपर की हिस्सेदारी 43 से घटकर 42 फीसदी रह जाएगी।” जब इंडियन एक्सप्रेस ने मॉल के डेवलपर और राजद विधायक अबू दोजाना से संपर्क किया तो उन्होंने लालू परिवार के साथ वित्तीय लेनदेन की जानकारी देने से इनकार कर दिया। जब दोजाना से इस 500 करोड़ के प्रोजेक्ट पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “इन्वॉयरमेंटल क्लियरेन्स की वजह से मॉल का निर्माण काम ठप पड़ा है।’
सीबीआई ने अपनी एफआईआर में आरोप लगाया है कि सगुना मोड़ पर जिस तीन एकड़ भूखंड पर मॉल बनाया जा रहा है, वह लालू परिवार को एक व्यवसायी परिवार ने दिया है। आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने व्यापार ी विनय कोचर और विजय कोचर की कंपनी सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को रेलवे के रांची और पुरी स्थित दो होटलों के रख-रखाव का ठेका साल 2006 में दिया था। लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे। सीबीआई के मुताबिक कोचर बंधुओं ने उस भूखंड को डिलाइट मार्केटिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया था।
रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के दस्तावेजों के मुताबिक डिलाइट मार्केटिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना 10 जून 1981 में हुई थी। बाद में साल 2014 में तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और चंदा यादव इस कंपनी में डायरेक्टर बनाए गए। अगस्त 2016 में लालू की दूसरी बेटी रागिनी भी इस कंपनी में डायरेक्टर बनीं। लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी और दोनों बेटे इस कंपनी के श्यर होल्डर हैं। तेजस्वी और तेजप्रताप ने इसका जिक्र चुनावी हलफनामे में नहीं किया है।