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जीवन में एक विकल्प या एक सोच रखकर प्रयास करने पर जीवन का चहुंमुखी विकास नहीं होता है। जीवन का विकास अनेक विकल्पों या अनेक प्रकार की सोच को फलीभूत करने के लिए प्रयास करने पर चहुंमुखी विकास के संग ढेरों खुुशियां मिलती हैं। लेकिन यह ध्यान रखें कि जितने विकल्प होंगे उतने अधिक प्रयास और बहुत-सा परिश्रम भ

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प्रत्येक व्यक्ति अपनी प्रशंसा चाहता है। सही अर्थों में प्रशंसा एक प्रकार का प्रोत्साहन है! प्रशंसा में सृजन की क्षमा होती है। इसलिए प्रशंसा करने का जब भी अवसर मिले उसे व्यक्त करने से नहीं चूकना चाहिए। प्रशंसा करने से प्रशंसक की प्रतिष्ठा बढ़ती है। सभी में गुण व दोष होते हैं। ऐसा नहीं है कि बुरे से ब

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आप किसी भी क्षेत्र में फेल हो जाते हैं तो इसका अर्थ यह नहीं कि आप निराश हो जाएं।इस आंग्ल अक्षर FAIL का अर्थ समझेंगे तो आप कदापि निराश नहीं होंगे।फेल के चार अक्षर की सच्ची अभिव्यक्ति इस प्रकार है-F-FIRSTA-ATTEMPTI- INL-LEARNINGवस्तुतः स्पष्ट है कि फेल से तात्पर्य है कि पहला प्रयास सीखना होता है।यदि आ

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हार स्वीकार करने वाला ही जीवन में निराश होता है। जो हारने के उपरान्त भी हार नहीं मानते हैं और अपने हार के कारणों को खोजकर उनमें सुधार लाते हुए पुनः प्रयास करते हैं, वे अवश्य जीतते हैं! न हार मानने वाला ही पुनः प्रयास करता है। वस्तुतः यह सत्य है कि हार के बाद ही जीत है! 

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क्रोध से अपना अहित होता है। क्रोध का कुटम्ब अवगुण सम्पन्न है। आईए क्रोध के कुटुम्ब का परिचय प्राप्त करें।  क्रोध का दादा है-द्वेष! क्रोध का पिता है-भय!  क्रोध की माता है-उपेक्षा! क्रोध की एक लाडली बहन है-जिद्द! क्रोध का अग्रज है-अंहकार! क्रोध की पत्नी है-हिंसा! क्रोध की पुत्रियां हैं-निंदा और चुगली!

जब तलक हाथ ये हाथों में तुम्हारा ना थातेरे नाम का चर्चा भी हमको गँवारा ना थातुझसे मिलने के बाद ही तो एहसास हुआबेवजह हमने अपने दश्त को सँवारा ना थाशिशिर मधुकर

अमीर बनने की चाबी कार्ल हेनरिख मार्क्स जर्मन का महान दार्शनिक मार्क्सवाद का जन्म दाता जो गरीबी में पैदा हुआ गरीबों के लिए लड़ा और गरीबी में ही मर गया पर वह मरते मरते मकार लोगों के हाथ में सरलता से अमीर बनने की चाबी दे गया इस चाबी का नाम था मार्क्सवाद मार्क्सवाद के तहत उन्होंने मजदूरों को शोषण करने वा

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हम निज विचारों से ही निज व्यक्तित्व निर्मित करते हैं। यदि हम अपने विचारों को सृजनात्मक व स्फूर्तिमय बना लें तो इससे हम अपना ही निर्माण करेंगे।हमारी इच्छाएं, आवश्यकताएं, भावनाएं और आर्दश हमारे विचार ही तो हैं।विचारों के संयम से ही व्यक्त्वि का संयम होता है। हमारे विचारों की समृद्धि व प्रखरता ही हमारे

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    सभी समाचार पत्र और पत्रिकाएं राशिफल छापते हैं। अब तो नैट पर, अपने मोबाईल पर दैनिक राशिफल पढ़ने को मिल जाता है। प्राय: समाचार पत्रों में सूर्य राशि से जोकि अंग्रेजी तारीख के अनुसार अमुक अवधि से अमुक अवधि में उत्‍पन्‍न्‍ा होने पर ज्ञात होती है के अनुसार राशिफल लिखा रहता है। यह सूर्य राशि होती है औ

आहार की व्याख्याए कार्य व महत्व        निरोगत्व व आहार का परस्पर संबंध ध्यान में आने के बाद आहार का अर्थ और उसका महत्व देखते हैं। चरकसंहिता में निरोगत्व यह नियोजित आहार, शांत निद्रा एवं संयम इन तीन बिंदुओं पर आधारित है ऐसा कहा गया है। हम जब आहार का विचार करते हैं तब निरोगत्व के केवल एक ही अंग को देख

यह अच्छी तरह अनुभव कर लिया गया है कि खिलखिलाकर हँसने से अच्छी भूख लगती है, पाचनशक्ति बढ़ती है और रक्त का संचार ठीक गति से होता है ।। क्षय जैसे भयंकर रोगों में हँसना अमृत- तुल्य गुणकारी सिद्ध हुआ है ।। खिल- खिलाकर हँसने से मुँह, गरदन, छाती और उदर के बहुत उपयोगी स्नायुओं को आवश्यकीय कसरत करनी पड़ती है,

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एक बार की बात है कि सभी ग्रामवासियों ने यह निर्णय लिया कि वर्षा के लिए प्रार्थना करेंगे। प्रार्थना के दिन सभी ग्रामवासी पूजास्थल पर एकत्र हुए। उनमें से एक बालक छाता लेकर उपस्थित हुआ।एक वर्ष के बच्चे की भावना का उदाहरण इससे अच्छा नहीं हो सकता है कि जब उसे गोद मे उठाकर हवा में उछालते हैं तो वह हंसता ह

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आप स्कूटर की टंकी फुल कराकर मेरठ से अलीगढ़ की यात्रा करने के लिए निकल पड़े हैं पर आपका पेट्रोल आधे रास्ते में ही समाप्त हो गया और आपकी यात्रा रुक गयी। स्पष्ट है कि जब तक आपके पास क्षमता  है तब तक ही आप सफलता की सीढ़ी चढ़ सकेंगे। सफलता उसी अनुपात में मिलती हैजिस अनुपात में आपके पास वांछित वस्तु पाने 

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