हार स्वीकार करने वाला ही जीवन में निराश होता है।
जो हारने के उपरान्त भी हार नहीं मानते हैं और अपने हार के कारणों को खोजकर उनमें सुधार लाते हुए पुनः प्रयास करते हैं, वे अवश्य जीतते हैं!
न हार मानने वाला ही पुनः प्रयास करता है।वस्तुतः यह सत्य है कि हार के बाद ही जीत है!