1. तिय क-छाया ख-अंधकार ग-स्त्री 2. तिरिया क-पार होना ख-औरत ग-पत्ते 3. तिरोधान क-अंतर्धान ख-आड़ ग-अपमान 4. तीमार क-अंधेरा ख-परछाईं ग-सेवा उत्तर 1. ग 2. ख 3. क 4. ग
यदि आपके विवाह में विलम्ब हो रहा है और बिना बात की बाधांए आ रही है, काम बनते बनते बिगड़ रहा है! प्रयास कर-कर के थक गए हैं तो इस बाधा व विलम्ब को दूर करने के लिए एक अनुभूत प्रयोग बता रहे हैं। इस प्रयोग से विवाह की बाधाएं दूर होती हैं, विवाह होने का मार्ग प्रशस्त होता है और अच्छे व सम्पन्न परिवारों
गुप्त रहस्य छिपाये रखिएन दूसरों से इतने खुल जाइये कि दूसरों को आपमें कुछ आकर्षण ही नहीं रहे, न इतने दूर ही रहिये कि लोग आपको मिथ्या अभिमानी या घमंडी समझें। मध्य मार्ग उचित है। दूसरों के यहाँ जाइये, मिलिए किन्तु अपनी गुप्त बातें अपने तक ही सीमित रखिए। “आपके पास बहुत सी उपयोगी मंत्रणायें, गुप्त भेद, ज
1. तीय क-गीला ख-तीखा ग-औरत 2. तुंगिमा क-मुख ख-ऊंचाई ग-नाभि 3. तुमुल क-कोलाहल, हलचल ख-हल्का ग-दुर्बल 4. तुर्त-फुर्त क-घुड़सवार ख-घोड़ी ग-झटपट, तुरन्त उत्तर 1. ग 2. ख 3. क 4. ग
वास्तु प्रचलन में है और वास्तु सम्मत घर सुख-समृद्धि कारक है। वास्तु सम्मत घर सभी बनाना चाहते हैं। यदि आप भी अपनाना चाहते हैं पर अपना नहीं पा रहे हैं क्योंकि आपका घर तो पुराना है और बना हुआ है। ऐसे में वास्तु कैसे अपनाएं। आप चाहे तो वास्तु न अपनाएं पर ईशान का प्रबन्धन कर लेंगे तो बहु
1. झुठकाना क-झूठ बोलना ख-गोबरग-भ्रम में डालना 2.झौर क-गन्दगी ख-समूह ग-झटका 3. टल्लेबाजी क-बहानेबाजी ख-कीड़ा ग-झूमना 4. टसुआ क-टेसू के फूल ख-भारी वस्तु ग-आंसू उत्तर 1. ग 2. ख 3. क 4. ग
कुछसंकलित शेर शाम से ही बुझा सा रहता है ,दिल हुआ है चिराग मुफलिस का | अज्ञात झूठ के आगे पीछे दरिया चलते हैं ,सच बोला तो प्यासा मारा जायेगा | वसीम बरेलवी एक मदारी ( शायर ) के जाने का गम किसको गम तो ये है मजमा कौन लगायेगा | वसीम बरेलवी मुसलसल गम और लम्बी जिन्दगान
हर समस्या का समाधान होता है , कहना आसान है मगर असल में कर पाना हर बार उतना भी सरल नहीं होता ! खासकर तब जब वो भीड़ का उन्माद हो या फिर कट्टर धार्मिकता से पैदा किया गया जूनून ! समाधान असम्भव तब हो जाता है जब समस्या जबरन पैदा की गयी हो ! कहा भी जाता है की पागलपन का कोई इलाज नहीं !लेकिन इस चक्कर में किसी
जन्नत की आगबढ़ चला है ताप अब,बर्फ को पिघलने दो !रोको विष, न रुको, कदम को बढ़ा चलो,आक्रोश में शिखर को थोड़ा पिघलने दो,बन चला है जंगल, अब न रहा जन्नत,काँटों के झुर्मुठों को थोड़ा तो सुलगने दो,रहो सजग, मन में न विष कोई घुल पाये,थाम लो फूलों को, न काँटों संग पलने दो ।बढ़ चला है ताप अब,बर्फ को पिघलने दो !सह प
शायद हम जानते है महाभारत क्यूं हुई यही शायद गीता में भी लिखा है और वही हमने देखा है और वही टी.वीके माध्यम से हम देखते आ रहे है । शकूनी मामा और दुर्योध्न ने किस तरह से चालबाजी करके पांडवो का सारा राज्य ले लिया फिर द्रोपदी का चीर हरण किया जिससे आगे चलकर महाभारत हुई । पर आप सोचिये अगर युध
सुख पाने का सरल मार्ग क्या है? यह तो आप भी जानना चाहते होंगे। सुख पाने का मार्ग सरल है-ईश्वरार्पण। यदि आप सभी कार्य ईश्वर को अर्पण करके करें, अपनी सभी गतिविधियां उसकी इच्छा समझकर नीति और धर्म का पालन करते हुए करें, क्या होगा यह ईश्वर जाने, जो होगा वह भले के लिए होगा और जैसा भी ह
आज फ्रेंडशिप डे नहीं पर ना जाने क्यों तुम्हे याद करने का बड़ा मन हो रहा । शायद मैं एक बुरा दोस्त हूँ या फिर स्वार्थी या दोनों जो तुम्हारी खबर नहीं लेता । पर यार तुम किस मिट्टी के बने हो जो मेरी आवाज पर दौड़ पड़ते हो । मुझसे जुड़ा हर दिन , समय और जगह तुम्हे आज भी बखूबी याद है और मैं फेसबुक के भरोसे रहता
उपयोगी को ग्राह्य कर लेना चाहिए और अनुपयोगी को त्याज्य देना चाहिए। एक बार की बात है कि गांधी जी को किसी युवक द्वारा लिखा एक पत्र मिला जिसमें गांधी जी को बहुत गालियां दी गई थीं। गांधी जी ने शान्त भाव से तीन पन्नों का पत्र पढ़ा था और उसमें लगी आॅलपिन को निकालकर रख लिया और पत्र फाड़कर रद्दी की टोकरी म
आप को बता दें कि सृष्टि के प्रारम्भ में ब्रह्मा जी के मुख से ॐ शब्द प्रकट हुआ था वही सूर्य का प्रारम्भिक सूक्ष्म स्वरूप था। तदोपरान्त भूः, भुव तथा स्व शब्द उत्पन्न हुए। ये तीनों शब्द पिंड रूप में ॐ में विलीन हए तो सूर्य को स्थूल रूप मिला। सृष्टि के प्रारम्भ में उत्पन्न होने से इसका नाम आदित्य पड
अंगुलियों में जड़े नाखुन भी कुछ कहते हैं, यह कभी नहीं सोचा होगा आपने। आज नाखुनों की चर्चा करते हैं। मानव की ऊर्जा हमेशा खर्च होती रहती है, ऐसी स्थिति में उसे आहार की आवश्यकता होती है। आयुर्वेद के अनुसार व्यक्ति के भोजन से रस बनता है रस से मांस, मांस से मेदा, मेदा से मज्जा, मज्जा से शुक्र बनत