शहरी जिंदगी। शहरी आशियाने को, टूट कर बिखरते देखा। बुलडोज़र को, आशियानों में रौंदते देखा। चीख पुकार के साथ, आँखों से नीर बहते देखा। कई दशकों से संजोए सपनो को, उखड़ते देखा। चन्द कागज़ी टुकड़ो से लोगो
"कहते हैं कि "जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ" । कुछ पाने के लिए गहरे पानी में उतरना पड़ता है । यह बात IAS की परीक्षा पर पूरी तरह फिट बैठती है । इस परीक्षा के लिए गहरी जानकारी होना आवश्यक है । सतही ज
एक समय की बात है जब माता पिता की बात हर हालत में मान्य होती थी जब गुरुजनों की समाज में खास अहमियत होती थी एक चूल्हे पर पूरे परिवार का खाना बनता था नन्हा मेहमान तो पड़ोस में ही प
लो फिर आ गया है वो ठिठुरती सर्दी का मौसम कड़कड़ाती, कंपकंपाती कहर ढाती ठंड का मौसम कोहरे की रजाई ओढ़े सूरज देर तलक सोता है ठंड से ठिठका सवेरा ठहर ठहर कर चलता है पानी का नाम सुनते ही सबक
अग्रवाल साहब ने एक और नौकर रामू काम पर रख लिया । खाना बनाने के अलावा घर का सारा काम रामू के जिम्मे कर दिया गया । रवि को केवल नाश्ता, लंच और डिनर तैयार करना था जिसमें उसकी मदद रेणू जी और मृदुला को करनी
मृदुला दुविधा में फंसी हुई थी । शिवा का असली नाम रवि है और उसका एक अतीत भी है जो बहुत सड़ा हुआ सा, गंदला सा है । क्या उस अतीत को मम्मी पापा को बता देना चाहिए ? इतनी बड़ी बात रवि ने अब तक छुपा कर रखी हुई
💥🌼💥🌸🌿उसे कितना..गुमान था.. 🌸🌿 कितना गुमान था उसे अपनी खूबसूरती पर कितना तो..गुमान था उसकों अपनी हीं..ख़ूबसूरती पर.. वो मेरी माँ से मिली.. वो एक दिन मेरी माँ से मिली.. और.... फिर.. वह पानी पानी ह
💥💫💥🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿🌺🌿 जाने क्यों बेहोशी सी छाई हैं.. ऐसा क्या जो तुममें देख पाई हैं.. यें नशा मेरी सोलहवें सावन क़ी हैं.. या..किसी ने चुपके से भंग पिलाई हैं.. जाने यें क्या हुई, जो ऐसी नशा
सपने देखे इन आंखों ने तुम्हारी।पूरे करना जिम्मेदारी केवल तुम्हारी।सफ़र ये तय करना होगा अकेले।डरना नहीं बातों से कभी लोगों की।इस्तेमाल करेंगे भरपूर तुम्हारे पूरी तरह खर्च हो जाने तक।निंदा मिलेगी खूनी र
रवि की जब आंखें खुली तो उसने अपने आपको एक अस्पताल में पाया । उसके पूरे बदन पर पट्टियां बंधी हुई थी । सिर भी पट्टियों से भरा पड़ा था । यह क्या हुआ, कैसे हुआ यह याद करने की उसने भरपूर कोशिश की मगर
प्र .ऐसी कौन सी बातें हैं जो कोई आपको नहीं बताता है और आपको जरूर मालूम होना चाहिए ?उ .१. आप पसंदीदा लोगो की लिस्ट बनाते है पर ये नहीं देखते की मैं कितनो की लिस्ट में हूँ २. जीवन के सभी नियम मानेंगे तो
वो काटा आज सारा जयपुर शहर छत पर आ गया है । मकर संक्रांति पर्व पर ही यह अद्भुत नजारा देखने को मिलता है । चारों ओर "वो काटा" , "वो मारा" का शोर वातावरण में गूंजता रहता है । सबके चेहरे खिले खिले रहते है
भाग 2 जब से जी टी वी पर अन्नू कपूर का अंत्याक्षरी कार्यक्रम देखा था तब से ही मेरे चेहरे का नूर गायब हो गया था । श्रीमती जी को तो विश्वास था कि दुनिया की कोई भी ताकत मुझे इस प्रतियोगिता में परास्
भाग 1 सन 1993 की बात है । दिल्ली जयपुर के बीच मिडवे पर एक शहर है जिसका नाम है बहरोड़ । राजस्थान के अलवर जिले में आता है । मेरा स्थानान्तरण वहां के राजकीय कॉलेज में हो गया था । तब मैं राजकीय कॉलेज
रवि और बेला दिल्ली भ्रमण पर थे । रवि बेला को दिल्ली घुमा रहा था । इंडिया गेट के बाद वे राजघाट पर आ गये । दोनों ने महात्मा गांधी को श्रद्धा सुमन अर्पित किये । उस महान आत्मा के सानिध्य में बेला को सुखद
उस दिन उसका जन्मदिन था, दोस्तों ने बोला था कि हम आएंगे, कहीं बाहर चलेंगे और तुम्हारा जन्मदिन बड़े धूमधाम से मनाएंगे। अगले दिन वह तैयार हुई और एक सहेली के साथ घर से डेढ़ किलोमीटर दूर पक्की सड़क पर आ
स्वामी विवेकानंदहिंदू धर्म और दर्शन से विश्व लगभग अनजान था हमारी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति का ना कोई मान था सांप संपेरो का देश मानते थेहमें जाहिल अनपढ़ जानते थे विश्व पटल पर
गुलाबो ने मन ही मन दृढ निश्चय कर लिया था । जब कोई भी व्यक्ति दृढ़ निश्चय कर लेता है तो विचारों का बवंडर थम जाता है । चेहरे पर दृढ़ता आ जाती है । आंखों में चमक और आवाज में खनक बढ़ जाती है । उसे पता था कि