स्वामी विवेकानंद
हिंदू धर्म और दर्शन से
विश्व लगभग अनजान था
हमारी प्राचीन सभ्यता एवं
संस्कृति का ना कोई मान था
सांप संपेरो का देश मानते थे
हमें जाहिल अनपढ़ जानते थे
विश्व पटल पर एक नक्षत्र उभरा
जैसे कोई देवदूत धरा पर उतरा
अपने दैदीप्यमान प्रकाश के तेज से
अंधकार को चीरकर दिलों में उतरा
1893 में शिकागो धर्मसंसद में
हिंदू , हिंदुत्व, हिन्दुस्तान का वैभव
देख देखकर अचंभित सारा संसार
स्वामी जी के सम्मुख शर्मसार सा गिरा
प्रखर बुद्धि , ज्ञान , संस्कार के धनी
ब्रह्मचर्य व्रत धारी , दृढ़ प्रतिज्ञ, साहसी
वेदांत दर्शन के प्रकांड पंडित बनने
का सफर आसान न था नरेंद्र के लिए
अनेक ऋषि मुनि , साधु, संत
मठ, आश्रम की यात्राएं की थी
मंदिर मंदिर देशाटन किया था
रामकृष्ण परमहंस से तब जाकर
अद्भुत ज्ञान ग्रहण किया था ।
"मानवतावाद" के प्रणेता ,
वेदांत के व्याख्याकार
युवाओं में जोश भरने वाले
स्वतंत्रता संग्राम को दिशा देने वाले
राष्ट्र भक्ति का पाठ पढ़ाने वाले
"नरेंद्र" हमारे प्यारे विवेकानंद जी को
आज युवा दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि ।।
हरिशंकर गोयल "हरि"
12.1.21