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लाइफ-स्टाइल

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दो पल की जिंदगी देखा जब नहीं उनको और हमने गीत नहीं गाया माना हमसे ये बोला की फागुन क्यों नहीं आया फागुन गुम हुआ कैसे ,क्या   तुमको कुछ चला मालूम  कहा हमने ज़माने से की हमको कुछ नहीं मालूम पा

हमारा मस्तिष्क दो हिस्सों में है एक अवचेतन मन और दूसरा चेतन मन इसीलिए हम इंसानों की यह प्रवर्ती है कि हम रहते तो हमेशा आज में हैं सभी कार्य करते तो आज में परन्तु हमारी सोंच और हमारा मन या तो भविष्य मे

भोजन के प्रकार भीष्म पितामह ने गीता में अर्जुन को 4 प्रकार से भोजन ना करने के लिए बताया था। 1 पहला भोजन- जिस भोजन की थाली को कोई लांघ कर गया हो वह भोजन की थाली नाले में पड़े कीचड़ के समान

         भोली भाली थी बड़ी, मासूम बहोत, भोंदू भी बहोत थी कोई कुछ कह भी दे तो उसे जवाब नहीं सूझता। चोटिल भी हो जाती पर रियेक्ट नहीं करती पर पढ़ाई में होशियार। उम्र भी बहुत छोटा था फिर भी घर के छुटपुट काम

मन की भावनाओं और दिमाग में चलते विचारों के उथल - पुथल को कहीं  ना कहीं प्रकट करना ही चाहिए क्योंकि  ये अव्यक्त भाव और विचार इंसान को इन्हीं बिंदुओं तक सीमित कर देता है ।यह जरूरी नहीं कि सामने वाला इं

आज का प्रश्न :कौन सी छोटी छोटी बातें हैं जो किसी ब्यक्ति के बारे में बहुत कुछ बता सकती हैं ?उ :१. बोलचाल २. फैशन ३. लिखावट ४. साफ सफाई .५. मुस्कराहट ६. गलती स्वीकार करने वाला ७. महिलाओं और बच्चों के स

ग़ज़ल- ये अलग बात है* वो ख़फ़ा मुझसे है ये अलग बात है। ज़िन्दगी की ये लेकिन कडी रात है।। जाने वाले तुझे कैसे समझाये हम। कितनी क़ातिल अमावस की रात है।। जाने किस बात पर आज तक जाने क्यों।

      वो पत्र पत्रिकाएं पढ़ने का शौकीन थी और लिखने की भी। उसके घर मे नवभारत नाम का एक दैनिक समाचार पर आता था। वह न्यूज़ पेज के अलावा भी बाकी खंड भी बड़े शौक से पढ़ा करती थी। उस पेपर में प्रति बुधवार एक सा

प्र.लोगों को प्रभावित कैसे करें ?उ .कुछ सिंपल बातों का ध्यान रखेंगे ,जैसे १. जब भी मिलें लोगों से चेहरे पर मुस्कराहट हो २. सामने वाले की सच्ची तारीफ जरूर करें ३. उनकी बातों में रूचि लें ४. बात करते सम

प्र .वो क्या सच है जो अक्सर नज़रंदाज़ हो जाता है ?उ .१. अच्छे दिखने वाले पर लोग जल्दी विश्वास कर लेते हैं ,वो कपटी भी हो सकते हैं २. आपका माइंडसेट आपकी बहुत बड़ी पूंजी है ३. दूसरे को इतना अधिकार ना दें ज

🌷🌹"बस मोल है ख़्यालात का..."🌹🌷 भास खुदको तब हुआ,अपनी सही औक़ात का। जब सितारे ने था चीरा, दिल अंधियारी रात का। नश्तर चुभाके दिल में जो,बेदर्दी से ज़ख़्म दिए। दर्द को भी न दर्द हुआ, प्रेम भरे जज़्बात का।

कभी कभी अकेला रहना सुकून देता है,शायद मन की शांति के लिए कुछ पल खुद के साथ बिताना ज़रूरी भी है,ज़िन्दगी की भागदौड़ में हम इतने ही व्यस्त हो जाते हैं कि हम खुद को ही भूल जाते हैं.... अक्सर मेरे साथ भी यह

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शहरी जिंदगी। शहरी आशियाने को, टूट कर बिखरते देखा। बुलडोज़र को, आशियानों में रौंदते देखा। चीख पुकार के साथ, आँखों से नीर बहते देखा। कई दशकों से संजोए सपनो को, उखड़ते देखा। चन्द कागज़ी टुकड़ो से लोगो

"कहते हैं कि "जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ" । कुछ पाने के लिए गहरे पानी में उतरना पड़ता है । यह बात IAS की परीक्षा पर पूरी तरह फिट बैठती है । इस परीक्षा के लिए गहरी जानकारी होना आवश्यक है । सतही ज

एक समय की बात है  जब माता पिता की बात हर हालत में मान्य होती थी  जब गुरुजनों की समाज में खास अहमियत होती थी  एक चूल्हे पर पूरे परिवार का खाना बनता था  नन्हा मेहमान तो पड़ोस में ही प

लो फिर आ गया है वो ठिठुरती सर्दी का मौसम  कड़कड़ाती, कंपकंपाती कहर ढाती ठंड का मौसम  कोहरे की रजाई ओढ़े सूरज देर तलक सोता है ठंड से ठिठका सवेरा ठहर ठहर कर चलता है  पानी का नाम सुनते ही सबक

अग्रवाल साहब ने एक और नौकर रामू काम पर रख लिया । खाना बनाने के अलावा घर का सारा काम रामू के जिम्मे कर दिया गया । रवि को केवल नाश्ता, लंच और डिनर तैयार करना था जिसमें उसकी मदद रेणू जी और मृदुला को करनी

मृदुला दुविधा में फंसी हुई थी । शिवा का असली नाम रवि है और उसका एक अतीत भी है जो बहुत सड़ा हुआ सा, गंदला सा है । क्या उस अतीत को मम्मी पापा को बता देना चाहिए ? इतनी बड़ी बात रवि ने अब तक छुपा कर रखी हुई

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