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भाग 29 वादा

12 जनवरी 2022

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गुलाबो ने मन ही मन दृढ निश्चय कर लिया था । जब कोई भी व्यक्ति दृढ़ निश्चय कर लेता है तो विचारों का बवंडर थम जाता है । चेहरे पर दृढ़ता आ जाती है । आंखों में चमक और आवाज में खनक बढ़ जाती है । उसे पता था कि रवि शाम के पांच बजे उसके घर आयेगा । उसने अपने कमरे की खिड़की पर एक शीशा इस तरह फिट किया कि उसे खिड़की से बाहर का सारा नजारा दिखता रहे और उसकी भनक बाहर ना लग पाये । 
ठीक पांच बजे रवि उसके कमरे के बाहर खिड़की के सामने खड़ा हो गया । उसके चेहरे पर निश्चिंतता के भाव थे । बड़ा प्यारा लग रहा था रवि । एक बार तो गुलाबो को लगा कि वह उससे मिल ले लेकिन अगले ही पल वह उसकी लफंगई के कारण अपने नहीं मिलने के फैसले पर डटी रही और उसने अपनी भावनाओं पर काबू कर लिया । 

रवि बार बार खिड़की की ओर देखता फिर घड़ी की ओर देखता । उसकी बेचैनी गुलाबो को बहुत अच्छी लग रही थी । रवि की बेचैनी देखकर उसे एक गाना याद आ गया 
तूने बेचैन इतना ज्यादा किया 
मैं तेरा हो गया मैंने वादा किया 

क्या रवि मेरा हो सकेगा ? सिर्फ मेरा । इसका यकीन उसे नहीं था । जिस तरह रानी ने रवि के बारे में बताया था तो उससे तो यही निष्कर्ष निकलता था कि रवि तो एक चांद की तरह है जो एक जगह कब रहता है । कभी अमावस के संग तो कभी पूनम के संग । ये अलग बात है कि अमावस चांद को अपने अस्तित्व में समेट लेती है । कुछ प्रेमिकाएं अमावस की तरह होती हैं जो अपने प्रेमी का अस्तित्व समाप्त करके उन्हें अपने में विलीन कर लेती हैं जबकि कुछ प्रेमिकाएं पूनम की रात की तरह होती हैं जो अपने प्रेमी के सौंदर्य, व्यक्तित्व को खुलकर निखार देती हैं । वे खुद भी खुश रहती हैं और अपने प्रेमी को भी खुश रखती हैं । क्या गुलाबो पूनम की रात बन पायेगी ? लाख टके का सवाल था । मगर असली सवाल यह नहीं था । असली सवाल था कि क्या चंद्रमा अपने सारे नक्षत्रों (लड़कियों) को छोड़कर उसके पास आयेगा ? यदि चंद्रमा ऐसा कर पाया तो वह उसके लिए पूनम की रात की तरह खिलेगी । 

गुलाबो ने मन कड़ा कर लिया था और वह खिड़की पर नहीं आई । दो घंटे इंतजार करता रहा रवि । इस बीच उधर से बहुत से लड़के लोग गुजरते रहे जिनके साथ रवि बातें करके टाइम पास कर रहा था । दो घंटे का इंतजार बहुत होता है । गुलाबो को अहसास हो गया कि रवि भी उसे दिल से चाहता है । अगर ऐसा नहीं होता तो रवि उसके लिए दो घंटे इंतजार नहीं करता । रीना कह रही थी कि रवि के लिए लड़कियां इंतजार करती हैं रवि नहीं । यहां उल्टा मामला था । गुलाबो को अपने आप पर नाज हो आया । कुछ तो बात है जो रवि जैसा लड़का उसके लिए दो घंटे इंतजार में खड़ा रहता है । "सच्चे प्रेमी को तड़पाना अच्छा नहीं" की तर्ज पर गुलाबो ने उससे मिलने का मन बना लिया । 

गुलाबो खिड़की पर आ गई । रवि की जैसे जान में जान आ गई । उसने इधर उधर देखा । कोई नहीं था वहां पर । सात भी बज चुके थे । अंधेरा हो चुका था । वह खिड़की के पास आ गया । धीरे से बोला । 
"बड़ी देर से खिड़की पे आंखें लगी थी 
हुजूर आते आते बहुत देर कर दी" । 

गुलाबो कुछ नहीं बोली । चुपचाप खड़ी रही । रवि ने पूछा "क्या हुआ ? इतनी देर कहाँ लगा दी" ? 
"वो मैं बाद में बताऊंगी । घर में मेहमान आये हुये हैं इसलिए मुझे जाना होगा । कल शाम पांच बजे शिव मंदिर में मिलूंगी । अब तुम जाओ" । 
गुलाबो बिना एक पल की देर किये वहां से चली गई । रवि मन मसोस कर रह गया । कितने अरमान सजाए थे उसने आज की मुलाकात के लिए । दो घंटे इंतजार भी किया । और मुलाकात केवल एक मिनट की ? बड़ी नाइंसाफी है ये तो । मगर वह कर ही क्या सकता था । आज गुलाबो के घर मेहमान आये हुये हैं तो वह कैसे आ सकती है ? सब लोग उसकी तरह फालतू थोड़े हैं । चल बेटा रवि , कल शाम पांच बजे तक इंतजार कर । अगर गुलाबो चाहिए तो इंतजार तो करना पड़ेगा । और लड़कियों जैसी नहीं है गुलाबो । बिल्कुल अलग है । तभी तो रवि उसका दीवाना है । वह सोचने लगा कि पांच बजे तक वह कैसे रह सकेगा ? किसी और लड़की के घर चलें ? उसके मन ने कहा । "नहीं, अब गुलाबो के सिवाय और कोई नहीं" । उसी मन की गहराई से आवाज आई । 
पूरे दिन स्कूल में भी उसका मन नहीं लगा । रश्मि ने कई बार पूछा भी मगर रवि ने कुछ नहीं बताया । दूसरी लड़कियों ने उसका मन बहलाने के बहुत प्रयास किये लेकिन रवि ने सबको डांटकर भगा दिया । सब लड़कियां आश्चर्य से रवि को देखने लगी । रवि के व्यवहार में परिवर्तन हो गया था । इतना चिड़चिड़ा तो कभी नहीं था रवि । अचानक न जाने क्या हो गया था उसे । सब लड़कियां सोच में पड़ गई । रवि ने कह दिया कि उसे उसके हाल पर छोड़ दो , बस । अब तो कुछ बचा ही नहीं था किसी के पास । सब लड़के लड़की उसे वहीं छोड़कर चले गये । 
रवि सीधे शिव मंदिर पहुंच गया । घड़ी देखी । अभी तो साढ़े चार ही बजे थे । आधा घंटा बाकी था । उसे रीना की याद आ गई । उसके लिये भी उसने कितना इंतजार किया था उस दिन ? पर उससे यह पता चल गया था कि इंतजार में भी एक अलग ही मजा है । उसके जेहन में एक एक करके सारी लड़कियां आती चली गई । वह खाली बैठे बैठे काउंटिंग करने लगा । काउंटिंग 56 पर जाकर रुकी । अब तक छप्पन लड़कियां उसकी जिंदगी में आ चुकी थी जिनके साथ उसने सब प्रकार की मस्तियाँ की थी । एक दो लड़की रश्मि जैसी और थी जो केवल दोस्त थीं और कुछ नहीं । वैसे भी प्रकृति का सिद्धांत है कि आग और पैट्रोल दोनों एक साथ नहीं रहने चाहिए । यदि दोनों एक साथ रहेंगे तो विस्फोट होना स्वावाभिक है । 
इन बातों में पांच कब बज गये पता ही नहीं चला । 
"कैसे हो रवि" । एक खनखनाती आवाज से वह चौंका । सामने गुलाबो खड़ी थी । 
"अच्छा हूँ ये तो नहीं कह सकता" 
"क्यों क्या हुआ" ? 
"प्रेमरोग" 
"पर वो तो बहुत पहले से हो गया है तुम्हें । बहुत सारी डॉक्टर इलाज कर चुकीं हैं तुम्हारा । अब तो ठीक हो जाना चाहिए" । व्यंग्य कसते हुए गुलाबो ने कहा। 
"हमारा तो वो हाल है कि दर्द बढता गया ज्यों ज्यों दवा की । अब तो सन्निपात हो गया है शायद" । रवि ने फीकी हंसी हंसते हुए कहा । 
"अच्छा ? ये सन्निपात कैसे हो गया" ? 
"ये तुम क्या समझोगी गुलाबो ? तुमने कभी इश्क नहीं किया न इसलिए । अगर करती तो महसूस करती" ।
"ओह! जनाब को तो महारथ हासिल है इसमें । चारों तरफ इश्क की लालटेन जल रही है जनाब की । पूरा गांव रोशनी से नहाया हुआ है" । एक कटाक्ष के साथ गुलाबो ने रवि की आंखों में देखा 
रवि उन आंखों का सामना नहीं कर पाया । उसने अपनी नजरें नीची कर लीं । दोनों के बीच थोड़ी देर सन्नाटा पसरा रहा । रवि ने खामोशी तोड़ते हुए एक गाने की पंक्तियां गुनगुनाई 
तेरा बीमार मेरा दिल , मेरा जीना हुआ मुश्किल
करूँ क्या हाय ? 

गुलाबो सुनती रही । बोली कुछ नहीं । रवि ने ही कहा 
"इस दिल को तड़पाने में कितना आनंद आता है तुम्हें, गुलाबो ? पता है कल से एक पल भी सोया नहीं हूँ मैं । कितना इंतजार करवाती हो ? इंतजार करते करते ही अगर मर गया तो भूत बनकर बहुत परेशान करूंगा । सोच लो" । रवि के होठों पर एक मुस्कान तैर रही थी । 
गुलाबो ने झट से उसके होठों पर हाथ रखते हुये कहा "मरें तुम्हारे दुश्मन ! ऐसी बातें नहीं करते । 
अभी तो जिंदगी से वास्ता हुआ है 
अभी तो दिल का गुलिस्तां खिला है
अभी तो इश्क का जाम चखा भी नहीं
अभी से ही होश फाख्ता हुआ है " ? 

इन बातों से रवि उन्मुक्त हो उठा । उसने गुलाबो को अपने नजदीक करते हुये कहा 
तेरी नजरों से पीने के बाद कुछ और पीने की इच्छा नहीं
इक तेरे इश्क के सिवाय और कुछ भी पाने की इच्छा नहीं

"क्यो , बहुत सारी लड़कियां हैं न इश्क के लिए । मेरा नंबर कहाँ हैं उनमें" ? गुलाबो ने अपनी योजना के अनुरूप बात छेड़ दी । 
"बहुत सारी लड़कियां तो हैं पर इश्क सिर्फ़ तुमसे है" । 
"तो वे सारी लड़कियां किस काम के लिए हैं" ? सीधा सट्ट प्रश्न दाग दिया गुलाबो ने । 
"अरे वो" ! कहते कहते शब्द अटक गये गले में रवि के । 
"कहिए, कहिए । चुप क्यों हो गए । कहिए कि वे लड़कियां किसलिए हैं" ? 
"वो तो ... बस, मस्ती करने के लिए हैं" । रवि के मुंह से निकल गया । 
इस जवाब को सुनकर गुलाबो बिदक गई । भरे हुये बादल की तरह फट पड़ी "तो जनाब के लिए लड़कियां केवल मौज मस्ती का साधन हैं । खेलने के लिए खिलौना मात्र हैं । और कुछ नहीं" ? 
"देखो गुलाबो, मुझे गलत मत समझो । मैंन किसी लड़की से कोई वादा नहीं किया और न ही किसी से कोई जबरदस्ती ही की । ऐसा नहीं है कि मस्ती सिर्फ मैंने अकेले ने की है । मेरे साथ साथ सभी लड़कियों ने भी की है । इसलिए मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगा । और हां, तुम और लडकी जैसी नहीं हो । तुम मेरे लिए खास हो । मैंने तुमसे प्यार किया है, गुलाबो" । 
"रहने दो । न जाने कितनी लड़कियों से ये बातें कर चुके हैं आप ? मुझे कैसे यकीन हो" ? 
"हां, ये सच बात कही है तुमने । तुम्हें यकीन दिलाने के लिये मेरे शब्दों के अलावा और कुछ नहीं है मेरे पास । काश मैं हनुमानजी की तरह होता तो अपना दिल चीरकर दिखा देता और तुम वहां अपनी तसवीर देखकर विश्वास कर लेती" । 
"दिल चीरकर दिखाने की जरूरत नहीं है । बस, एक वादे से भी काम चल सकता है" ।
"वादा ? कैसा वादा" ? रवि ने जिज्ञासा से पूछा ।
"एक छोटा सा वादा कि तुम आज के बाद और किसी लड़की से कोई संबंध नहीं रखोगे । ना कभी मिलोगे और न ही बात करोगे" । गुलाबो ने दृढता से कहा । 

रवि सोचने पर मजबूर हो गया । कितनी लड़कियां उसे चाहतीं हैं । उन्हें कैसे छोड़ सकता है वह ? कितनी मौज मस्ती की थी उसने उन सबके साथ । कन्हैया बनकर रहता था गोपियों के बीच । मगर अब "राधा" आ गयी है तो बाकी गोपियों से किनारा करना होगा उसे । क्या कर पायेगा वह" ? 
"बोलो , अब बोलते क्यों नहीं" ? 
रवि समझ नहीं पा रहा था कि क्या बोले ? वह खामोश ही रहा । 
गुलाबो ने उसकी खामोशी को इंकार समझ लिया । कहने लगी "तुम भी उन लड़कियों से प्यार करते हो । तुम्हारी खामोशी सब कुत कह रही है । पर एक बात मेरी भी ध्यान से सुन लो एक म्यान में बहुत सारी तलवारें नहीं रह सकती हैं । मैं तो चली । जब तुम ये वादा करने की स्थिति में आ जाओ उस दिन मेरे पास आ जाना । मैं तुम्हारी हो जाऊंगी" । और इतना कहकर गुलाबो वहां से चल दी । 
रवि उसे जाते हुए देखता ही रह गया । वह उसे रोकना चाहता था, मगर रोक नहीं पाया । 

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रचनाएँ
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