प्रवासी भारतीय ( भारतवंशी ) देश की आजादी के पर्व 15 अगस्त के पावन दिन को कभी नहीं भूलते | मेरी नन्द मनीषा रामरक्खा के अपनी जन्म भूमि के प्रति उदगार उनकी भावनाओं को व्यक्त करते हैं | फीजी प्राकृतिक सौन्दर्य परिपूर्ण प्रशांत महासागर में 332 द्वीपों का समूह हैं यहाँ 110 द्वीपों में लोग निवास करते हैं 1874 से यह ब्रिटिश उपनिवेश था 1970 में विजय दशमीं के दिन यह आजाद हो गया |
भारत मेरा महान
(आजादी का अमृत महोत्सव )
श्री मती मनीषा रामरक्खा
जन्मभूमि तू मेरी आन ,स्वीकारो शत शत परनाम....2
जन्मभूमि और कर्मभूमि में ,
पहले नमन करूं मैं किसको |
गुरु गोविन्द में गुरु अग्रिम है ,
जन्म भूमि को प्रथम नमन है |
जन्म भूमि तू मेरी आन , स्वीकारो शतशत परनाम.... 2
जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि ,
देती हमको जीवन दान |
करती सदा तैयार सभी को ,
सृष्टि का करने उपकार |
जन्मभूमि तू मेरी आन , स्वीकारो शतशत परनाम .....2
निर्लिप्त और उन्मुक्त भाव से ,
पाल पोस कर योग्य बनाती |
संस्कृति – संस्कार डाल कर ,
करती मानव का कल्याण |
जन्मभूमि तू मेरी आन , स्वीकारो शतशत परनाम ...2
बोया बीज जन्म भूमि में ,
कर्म भूमि में फलता है |
यही प्रवासी की नियति है ,
मातृभूमि का यह जीवन दान|
जन्म भूमि तू मेरी आन , स्वीकारो शतशत परनाम ....2
जीवन की भावी आशायें ,
ले गयी सात समुद्र पार |
बने प्रवासी छूटा भारत ,
हारे , न ही हुये हताश |
जन भूमि तू मेरी आन , स्वीकारो शतशत परनाम .....2
संस्कृति- भाषा को लेकर ,
हवन यज्ञ वेदों की ध्वनि से |
घर – घर रामायण का प्रचार ,
किया फीजी का पूर्ण विकास |
जन्मभूमि तू मेरी आन , स्वीकारो शतशत परनाम ......2
आजादी का अमृत महोत्सव ,
आशा अभिलाषाओं का द्वार|
बने प्रवासी हम भारतवासी ,
जय-जय-जय हे भारत महान |
जन्मभूमि तू मेरी आन , स्वीकारो शतशत परनाम ...... 2
मनीषा रामरक्खा
Retired Senior Education Officer, MOE, Fiji
Lecturer in Hindi- At Present
The University of Fiji