17 मई 2022
मंगलवार
समय 11:30 (रात)
मेरी प्यारी सहेली,
जीवन में मित्र का साथ सच बहुत ही सुहाना अनुभव होता है। आज लगभग 20 साल बाद मैं अपने बचपन की मित्र से मिली। मिलकर बहुत ही अच्छा लगा। मिलना भी ऐसा हुआ कि मानो ऐसा लग रहा था शायद आज मुलाकात नहीं हो पाएगी।
उसके घर का लाइव लोकेशन भेजने के बाद भी पता नहीं क्यों नेट प्रॉब्लम की वजह से उसका घर मिल ही नहीं पा रहा था।
दो तीन बार चक्कर लगाने के बाद भी पृथ्वी गोल है कि तरह गोल गोल वही घूमते जा रहे थे।
आज ही मेरे घर वापसी की बस भी 10:00 बजे की थी। मैं और मेरी बहन दोनों उसका घर ढूंढने निकले थे और तब तक रात के 8:00 बज चुके थे। मन में शंका थी कि आज मिलना बिल्कुल नहीं हो पाएगा।
मैंने फोन करके उससे कहा कि इस बार रहने दें। अगली बार कोशिश करेंगे। पर उसकी तरफ से भी बहुत दबाव था कि इस बार ही मिलेंगे। मैंने उससे कहा कि घर से बहुत फोन आ रहे हैं, जल्दी पहुंचना है और पैकिंग भी तो करनी है।
वो बोली पता नहीं अगली बार का। हमें तो इस बार ही मिलना है। तो मैं आती हूं कहते हुए वह अपने घर से निकल कर जल्दी-जल्दी मेरे पास आई। उसने कहा आज मुंह मीठा कर के ही मेरे घर से जाएगी।
सच मित्रता के रिश्ते दिल के बेहद करीब होते हैं। यह रिश्ते इंसान खुद बनाता है और प्रगाढ़ करता है इन संबंधों को।
रह रह कर उसका हंसता, मुस्कुराता चेहरा मुझे बार-बार याद आ रहा है। सच मित्रता पर न्योछावर संपूर्ण जीवन। आज के लिए इतना ही।
शुभ रात्रि