11 मई 2022
बुधवार
समय 6:25
मेरी प्यारी सहेली,
कुछ दिनों से भगवत गीता का पाठ यहां मंदिर में हो रहा है। चारों तरफ लाउडस्पीकर लगे हुए हैं जिससे मंदिर में किया जाने वाला भागवत पाठ सभी घर बैठे सुन सकते हैं।
पर आसपास की महिलाओं का कहना है कि मंदिर में जाकर वहीं बैठ कर ही पाठ सुनना चाहिए।
जब घर बैठकर ही पाठ सुना जा सकता है तो वहां जाने की क्या आवश्यकता?
एक बार वहां मंदिर में जा कर बैठी थी पड़ोसियों के कहने पर। पर वहां पीछे बैठी बहुएं सास की और एक साथ इकट्ठे सास अपनी बहुओं की निंदा करने में लगी दिखाई दे रही थी।
पाठ सुनने गए हैं और वहां पाठ सुनने के स्थान पर सब छोड़-छाड़ कर यदि एक दूसरे की बुराई की जाए तो घर पर रहना ज्यादा अच्छा है। हो सकता है मैं गलत हूं पर मेरा मानना बिल्कुल सही हो यह भी तो जरूरी नहीं।
गर्मी से अब घबराहट सी होने लगी है। एक तरफ जहां बच्चों की छुट्टियां हो गई है वहीं छुट्टियों में भी ऑनलाइन क्लासेस लगवाई जा रही है। यह छुट्टियां तो बच्चों को खुलकर सांस लेने देना चाहिए। ताकि उन्हें स्पूर्ति मिल सके।
अभी के लिए इतना ही फिर मिलते हैं।
पापिया