28 मई 2022
शनिवार
समय 11:30 (रात)
मेरी प्यारी सहेली,
आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। एक बार इसने अगर इंसान में अपनी पैठ बना ली तो फिर किसी भी प्रकार से निस्तारण नहीं हो सकता।
एक समय था जब इंसान हर काम अपने हाथों से करता था। आटा पीसना हो, चाहे दलिया कूटना हो, मक्खन निकालना हो या कुएं से पानी भरना हो सब कुछ हाथों से ही और शरीर के परिश्रम द्वारा पूर्ण होता था।
धीरे-धीरे समय ने गति पकड़ी। आविष्कार होते चले। विज्ञान की स्थिति मजबूत होने लगी।
हर काम धीरे-धीरे मशीनों ने ले लिया। चाहे वह घर की रसोई में सिलबट्टे का स्थान मिक्सी ने लिया हो या चूल्हे का स्थान गैस ने, ले अवश्य लिया।
यहां तक कि मंदिरों में बजने वाले घंटों और झालरों का स्थान भी विद्युत चालित यंत्रों ने ले लिया है।
इसके बाद आधुनिक समय में मोबाइल ले तो शारीरिक और मानसिक दृष्टि से लगभग सभी को आलसी बना दिया है। इंसान हाथ में घड़ी नहीं बांधता ना हीं दीवार घड़ी की तरफ नजरें डालता है मोबाइल ऑन किया टाइम देखा।
बच्चे बाहर जाकर खेलना नहीं चाहते। मोबाइल ऑन किया और वीडियो गेम शुरू। मजाल है जो बच्चे एक बार के लिए भी अपनी नजरें इधर से उधर करें। पूरे ध्यान मग्न हो मोबाइल में ही जुटे रहते हैं
मोबाइल के कारण आज भी शारीरिक और मानसिक दृष्टि से हर कोई दुर्बल होते जा रहे हैं। साथ ही साथ आलसी भी।
आलसी इसलिए कि घर पर यदि किसी को, किसी चीज की जरूरत है तो बच्चे घर से बाहर जाना या उस चीज को लाना पसंद नहीं करते।
लेकिन वही अगर मोबाइल की बैटरी डिस हो गई तो रात के 11:00 बजे भी जाकर मोबाइल की बैटरी लेकर आ सकते हैं।
पारिवारिक संबंधों की अहमियत मोबाइल के चलते लोग बिसराते जा रहे हैं। सोशल मीडिया में आ रहे लाइक्स और कमैंट्स को ही अपने आसपास की दुनिया मान बैठते हैं।
कोरोना काल में लोगों ने कितना कुछ जाना कितना कुछ सीखा। पर समय की गति के साथ पुनः सब कुछ विसरा कर वही अपने पुराने ढर्रे को अपनाएं बैठे हैं।
आज के लिए इतना ही फिर मिलते हैं।
शुभ रात्रि।