21 मई 2022
शनिवार
मेरी प्यारी सहेली,
खुशी की परिभाषा क्या है? बहुत कुछ पाना खुशी है? या किसी को कुछ देना?
शायद कुछ ना पा कर भी खुश हुआ जा सकता है यह तो आंतरिक भावना है।
आज कितने ही लोग सोशल साइट्स पर वीडियो, मैसेजेस अपलोड कर लाइक पाने की चिंता में व्यस्त दिखाई देते हैं।
लाइक मिलने पर खुश हो जाते हैं लाइक ना मिलने का दुःखी या परेशान हो जाती है।
क्या आज हमारी खुशियां इतनी बिकाऊ हो चुकी है? कि हम अजनबियों की पसंद नापसंद के अनुसार खुश होने की कोशिश करते हैं।
धनवान इंसान भी सुख की परिभाषा नहीं जानता और कई बार मजदूर ने दुःख को हृदय से नहीं लगाया देखा जाता है।
आज प्रतिलिपि में चर्चा का विषय था इंपॉसिबल अर्थात असंभव। एक विद्वान द्वारा कहा गया है इंपॉसिबल सेज़ आई एम पॉसिबल अर्थात हर असंभव चीज अपने लिए कहती है कि मैं संभव हूं। शायद असंभव को संभव करने का प्रयास ही नहीं किया गया।
आज की युवा पीढ़ी तो हर बात पर एक्सक्यूज गिना देती है। शायद कहीं गए थे, समय नहीं मिला, यह काम हम कर तो सकते थे पर कर नहीं पाए और भी ना जाने कितने ही बहाने बड़ी ही आसानी से गिना देते हैं।
पर विजेता वही होता है जो असंभव कार्य को संभव कर दिखाएं।
पहले तो कई चीजें असंभव हुआ करती थी। लेकिन आज के युग में नेट की उपलब्धता के चलते हर चीज संभव है। असंभव नाम की कोई चीज है ही नहीं। उन लोगों के लिए जो सिर्फ और सिर्फ बहाने बनाने में माहिर होते हैं।
बहुत ज्यादा गर्मी के कारण अब तो खाली बैठते हैं नींद आने लगती है, उबासियों का क्रम शुरू उबासिया भी ऐसी की 1 को आते ही दूसरे को भी आने लगती है।
सड़के भी सुनसान दिखाई दे रही हैं। सब अपने-अपने घरों में इस गर्मी के चलते छुपे हुए बैठे हैं।
कल बाल्टी के पानी में छिपकली गिर गई थी। बस सभी डरते डरते डरते उधर भाग ने लगे। ये नहीं कि छिपकली को कोई निकाल दे उसे देखकर डर सभी रहे थे।
शुभ रात्रि