29 मई 2022
रविवार
समय 11:00 (रात)
मेरी प्यारी सहेली,
सहेली साथ रहने वाली अली अर्थात मित्र जो सदा साथ रहे, हर दुःख सुख में, हर पल, हर क्षण में।
मित्रों में ऐसी कौनसी विशेषता है।
जो रिश्तेदारों से भी बढ़कर है..?
*मित्र सिर्फ मित्र होते हैं,*
**वे सगे, चचेरे, ममेरे, फुफेरे,*
*मौसेरे और सौतेले नहीं होते हैं।"*
*ढल जाती है हर चीज़ अपने वक़्त पर, बस एक दोस्ती है जो कभी बूढ़ी नहीं होती..!*
तभी तो कहा जाता है एक मित्र ही व्यक्ति के अवसाद को दूर करने के लिए काफी है।
मित्रों का नाम याद आते ही बचपन के मित्रों को भूल जाए ऐसा कैसे हो सकता है। ऐसे अल्लड़ दोस्त जो बात बात पर गुस्सा हो जाते थे और बात बात पर ही मान जाया करते थे।
मुझे बचपन की अनेकों बातें याद है। आज चुप चुप के तुम्हें बताती हूं।
आज के ऐसे समय में जहां मैसेजेस, व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टा और वीडियो कॉलिंग की जाती है एक हमारा समय था जब हम लोग हर बात पर सीता माता की कसम खाया करते थे।
कसम खाकर ही दोस्ती जोड़ देते और कसम खाकर ही दोस्ती तोड़ते थे।
विद्या माता सरस्वती हमें बुद्धि दे, विद्या दे, हम अच्छे नंबरों से पास हो इसके लिए हम अपने नोटबुक में पंख रखा करते थे, अलग-अलग रंगों के। समय-समय पर उन पंखों को जांचा जाता था कि उनके बच्चे निकले या नहीं।
बच्चे अर्थात बड़े पंखों का छोटा पंख। जिस किसी की नोटबुक में बड़े पंखे में से छोटे पंख निकलते थे कहा जाता था विद्या माता उस पर बेहद प्रसन्न है।
आजकल के बच्चों को तो शायद खेल के इतने नाम भी नहीं पता जितने हम लोग बचपन में खेला करते थे। पकड़म पकड़ाई, 20 अमरिद, पैल दूज, चेन चेन जूढ़ढ़ा, गुट्टे, लंगड़ी टांग का गोला, सितोलिया, गिल्ली डंडा, कब्बा किसकानी और भी ना जाने कितने ही प्रकार के खेल हम लोग खेला करते थे।
आज के लिए इतना ही और भी बचपन की यादों में खोती चली जाऊंगी तो बहुत दुःख होगा। वह दिन अब तो लौट के वापस आ ही नहीं सकते जिनके लिए आज भी तरसते हैं।
शुभ रात्रि