ज़िन्दगी है सीखेगा तू गलती हजार कर
किसने कहा था लेकिन पत्थर से प्यार कर |
पत्थर से प्यार करके पत्थर न तू हो जाना
पथरा न जाये आँखे पत्थर का इन्तेजार कर |
ख़्वाब में भी होता उसकी जुल्फों का सितम
मजनूं बना ले खुद को पत्थर से मार कर |
सिकंदर बन निकला था दुनिया को जीतने
पत्थर सा जम गया है पत्थर से हार कर |
मुकद्दर पर न छोड़ अब हाथ में उठा ले
पत्थर तराश दे तू पत्थर औज़ार कर |
©शिवदत्त श्रोत्रिय