शहर की भीड़ भाड़ से निकल कर
सुनसान गलियों से गुजर कर
एक चमकता सा भवन
जहाँ से गुजरते है, अनगिनत शहर |
एक प्लेटफार्म है , जो हमेशा ही
चलता रहता है
फिर भी
वहीं है कितने वर्षो से |
न जाने कितनो की मंजिल है ये
और कितने ही पहुंचे है
यहाँ से अपनी मंजिल
पर हर कोई बे-खबर है |
कुछ लोग दिन गुजारते है कहीं
फिर शाम को लौट कर
बिछाते है प्लेटफार्म पर एक चादर
ये बन जाता है, सराय |
रात के अँधेरे में चमचमाता
कई शहर इंतजार में
उसी इंतजार में शामिल
आज मेरा भी नाम ||
शहर की भीड़ भाड़ से निकल कर
सुनसान गलियों से गुजर कर
एक चमकता सा भवन
जहाँ से गुजरते है, अनगिनत शहर |
एक प्लेटफार्म है, जो हमेशा ही
चलता रहता है
फिर भी
वहीं है कितने वर्षो से |
न जाने कितनो की मंजिल है ये
और कितने ही पहुंचे है
यहाँ से अपनी मंजिल
पर हर कोई बे-खबर है |
कुछ लोग दिन गुजारते है कहीं
फिर शाम को लौट कर
बिछाते है प्लेटफार्म पर एक चादर
ये बन जाता है, सराय |
रात के अँधेरे में चमचमाता
कई शहर इंतजार में
उसी इंतजार में शामिल
आज मेरा भी नाम ||