मैं जीवन के वास्तविक अनुभवों को, कलम रुपी लेखिनी के द्वारा शब्दों के मोतियों को अनुभव रुपी धागे में पिरोकर एक निर्मल माल्यार्पण पाठकों को करना चाहता हूं । सर्वप्रथम पाठकों को सम्मान प्रदान करते हुए , मैं उन्हें जीवन की वास्तविकताओं व गूढ़ रहस्यों से
इस संसार में भगवान का नाम भगवान से बड़ा है ! नामी की पहचान नाम से ही होती है ! नाम की महिमा का गुणगान आदिकाल से होता चला चला आया है ! नाम की शक्ति , नाम का आकर्षण एवं नाम का प्रभाव सर्वविदित है ! किसी भी व्यक्ति की पहचान दो प्रकार से होती है ! प्रथम
महाभारत की कहानी पर आधारित अनगिनत टेलीविज़न सीरियल और फ़िल्में अनगिनत भाषाओँ में बनाई गई हैं और इन सारी कहानियों में द्रौपदी द्वारा दुर्योधन के मजाक उड़ाए जाने को दिखाया गया है। लेकिन क्या वास्तव में उनका दावा वास्तव में महाभारत ग्रन्थ में लिखी गई तथ
जिंदगी बहुत मुश्किल है और ये बात हमें कदम-कदम पर पता चलती रहती है। कभी परिवार की जरूरतों को लेकर तो कभी अपने आकांक्षाओं को पूरा करने की चाहत में हमें कई मुश्किलों से गुज़रना पड़ता है। यह मेरी कहानी अंतिम सत्य में एक ऐसे कड़वे सच को दर्शाया गया है,
रामखिलावन एक सीधा साधा गांव का युवक है पर उसने बहुत ही जल्दी पोस्ट ग्रेजुएट पूरी की साथ ही बीएड भी पूरा किया और वही एक सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर भी बन गया, उसने इतिहास में PhD भी कर लिया , सब कुछ अच्छा था , पर सबसे बड़ी समस्या थी उसकी शादी ,व
यह पुस्तक मेरी कहानियों का प्रथम संग्रह है, जहाँ मेरे द्वारा कुछ कहानियों में शहरी और ग्रामीण अंचलों में व्याप्त व्यथा-कथा का चित्रण तो कुछ में ऐतिहासिक और आधुनिक सामाजिक पृष्ठभूमि का ताना-बाना बुनते हुए चमत्कारिक भाषा-शैली के स्थान पर सीधे-सरल शब्दो
प्यार के रंग सनम का रहे ख्याल जाने वो दिल का हाल शैल सा बने मुश्किल मे ढाल प्यार तेरा मेरा बेमिसाल
ये कहानी है अंजली और अभिनव की जो समाज के रूढ़िवादी विचारों के चलते एक दूसरे से अलग हो गए। दोनों ने अपने परिवार को सम्मान देने के खातिर अपने प्यार की कुर्बानी दे दी। और एक दूसरे की ज़िंदगी से अलग हो गए। पर नियती को कुछ और ही मंजूर था। दोनों एक बार फिर
Friends मेरा नाम Anil Solanki है। ये मेरी रियल लाइफ स्टोरी है। के कैसे मेने अपनी क्षमता/Talent/Ability को पहचाना उसे Explore किया और सफलता हाँसिल की। मेने अपना Career की शुरुआत 17 साल की उम्र मे as a office boy की थी। मे कंपनी मे साफ़सफाइ चाय पिलान
❣️❣️ प्रेम डगर ❣️❣️ ख्वाबों का एक अनजाना नगर आसान कहां है, मुश्किल बड़ा ये सफर कभी इन राहों में कलियां खिल जाए कभी बेवफाई की ठोकर मिल जाए कभी खूबसूरत से मोड़ है आते तो कभी दर्द की राह में मुड़ जाते रुसवाई के भी है फसाने चाहत के कुछ अफसाने कभी जुदाई औ
मैं इस पुस्तक की लेखिका रश्मि गुप्ता, उम्र के हर स्वाद का रसपान कर चुकी हूँ और कहीं भी इसे मैंने नीरस नहीं पाया है। हर चीज यहां अपना एक विशेष स्थान रखती है। चाहे फूल ही या कांटा, दोनों की बराबर अहमियत है । लीक से हटकर अंधेरे, समस्या
एक लड़की किसी एक इंसान के लिए, अपना पतिवार,अपने रिश्ते नाते छोड़कर छोड़ कर इस उम्मीद से आती है, कि उसका एक सच्चा साथी सुख-दुख बांटने वाला खुशियां देने वाला सहयोगी होगा। वह नए रिश्तो को अपनाकर सभी को खुशियां देने , घर को सजाने संवारने की कोशिश क
(अरुण गाँधी के उपनाम से राजनीति, पत्रकारिता एवं वरिष्ठ मित्रों में १९८० से १९९० के दशक में प्रचलित एक नाम) १८ वर्ष की उम्र में पत्रकारिता आरम्भ, प्रदेश-स्तरीय राजकीय मान्यताप्राप्त पत्रकार, भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के लिए राष्ट्र-स्तरीय नि
ये पुस्तक स्वतंत्रता सेनानी, स्वर्गीय श्री बनारसी दास गोटे वाले की जीवन गाथा है। मै रश्मि गुप्ता इस पुस्तक की लेखिका, सौभाग्यशाली हूँ कि मैं उनकी पुत्री हूँ । जितना करीब से जाना, देखा है, उसे सब के समक्ष रखना चाहती हूँ । मुझे पूर्ण आशा है कि उनक
सुन सखी, मेरा अपने प्रिय पाठकों से मिलने का नया बहाना है। आप सब की प्रेरणा और प्रशंसा दोनों ही मुझे जल्दी जल्दी आप से कुछ कहने और सुनने के लिए ललायित कर रहीं हैं। यदि आपका प्यार यूं ही बरसता रहा तो क़ोई आश्चर्य नही कि बाढ़ आ जाये। वो बाढ़ नहीं जो वि
कहानी का तीसरा अंक प्रकाशित हुआ
मन की अहसास मिलेजुले जज्बात ग़म और खुशी का सफ़र जीवन पर होता है क्या असर
प्रिय पाठक, ईश्वर आप सभी को सदैव प्रसन्न रखे! शब्द.इन प्रकाशन द्वारा मेरी अपनी रचनाओं के साकार रूप इस पुस्तक के प्रकाशन पर अन्तर्मन् में अतिशय आनन्द का अनुभव कर रहा हूं। कालेज के समय से ही कविता पढ़ने, सुनने एवं लिखने का बहुत शौक था जो परिस्थितियों
नाम से यह उपन्यास है, तो स्वाभाविक ही है कि चरित्र विशेष होगा। कहते है न कि युवा अवस्था जीवन का वह पड़ाव है, जहां पहुंचने के बाद मन की इच्छा पंख लगा कर उड़ने की होती है।....वह भले-बुरे के भेद को न तो समझना चाहता है और न ही समझ पाता है। फिर तो उसका जो ह
एक सामाजिक कहानी, जिसमे पियक्कड़ पिता की वजह से नवजात लड़की की मां मर जाती है और समाज उस लड़की को गलत मानने लगता है। ऐसे कई और हादसे ईश्वर उसके जीवन मे एक के बाद एक करता है और पूरा समाज उसे चुड़ैल कहकर ताने मारता है। कैसे वो लड़की समाज का सामना करेगी और ब