मैं इस पुस्तक के माध्यम से कहना चाहता हूं कि प्यार कोई अपराध नहीं है लेकिन कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाते हैं। लोग कहते हैं कि आजकल सच्चा प्यार कौन है, लेकिन मैं सभी से पूछना चाहता हूं। क्या आप भी ऐसे हैं जो अपने वादे पर खरे उतर सकते हैं। इस किताब के
भारतीय पत्रकारिता के बुझते हुए पुंज में बचे कुछ अंतिम उजालों में से एक थे "कमाल ख़ान" कमाल की सादगी, कमाल की तहज़ीब, कमाल की लखनवी ज़बान और कमाल का अंदाज़... सच में कमाल कमाल के ही थे। पत्रकारिता से लुप्तप्राय रिपोर्टिंग के लिए कमाल ख़ान जैसे पत्रकार वेंट
अमृता प्रीतम साहित्य जगत् में एक ऐसी ‘ शख्सियत रही हैं जिनकी लेखनी ने भाषाओं की सीमाओं को तोड़ा और यह प्रमाणित किया कि लेखक की ‘ शैली भाषा , बोली देश की सीमाओं में बाँधी नहीं रहती। स
दीपगीत महादेवी वर्मा की दीपक संबंधी कविताओं का संग्रह है। दीप महादेवी वर्मा का प्रिय प्रतीक है। डॉ शुभदा वांजपे के विचार से दीप महादेवी वर्मा का महत्त्वपूर्ण प्रतीक है। प्रो श्याम मिश्र महादेवी की कविता में दीपक को साधनारत आत्मा का प्रतीक मानते हैं औ
मन की बात अपनी सखी दैनन्दिनी के साथ
मन में लगे भावनात्मक तारों को स्पंदन करवाने हेतु भावनात्मक मुद्दों से जुड़ी कविताएं एव कहानियां
भारत का सर्वप्रमुख धर्म हिन्दू धर्म है, 'सनातन धर्म' भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म किसी व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित धर्म नहीं है, बल्कि यह प्राचीन काल से चले आ रहे विभिन्न धर्मों, मतमतांतरों, आस्थाओं एवं विश्वासों का समुच्चय है। प्रमुख देवता शिव, विष्
1921 में महादेवी जी ने आठवीं कक्षा में प्रान्त भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया। यहीं पर उन्होंने अपने काव्य जीवन की शुरुआत की। वे सात वर्ष की अवस्था से ही कविता लिखने लगी थीं और 1925 तक जब उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की, वे एक सफल कवयित्री क
सांध्यगीत महादेवी वर्मा का चौथा कविता संग्रह हैं। इसमें 1934 से 1936 ई० तक के रचित गीत हैं। 1936 में प्रकाशित इस कविता संग्रह के गीतों में नीरजा के भावों का परिपक्व रूप मिलता है। यहाँ न केवल सुख-दुख का बल्कि आँसू और वेदना, मिलन और विरह, आशा और निराशा
अग्निरेखा महादेवी वर्मा का अंतिम कविता संग्रह है जो मरणोपरांत १९९० में प्रकाशित हुआ। इसमें उनके अन्तिम दिनों में रची गयीं रचनाएँ संग्रहीत हैं जो पाठकों को अभिभूत भी करती हैं और आश्चर्यचकित भी, इस अर्थ में कि महादेवी के काव्य में ओत-प्रोत वेदना और करु
इस डायरी में मैं लेकर आयी हूँ कुछ दूर-पास की बातें। ये दूर-पास की बातें क्या हैं? इसके लिए डायरी पढ़ना न भूलें।
अमृता प्रीतम (1919-2005) पंजाबी के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक थीं। अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है। उन्होंने 100 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें सबसे अधिक चर्चित उनकी आत्मकथा 'रसीदी टिकट' रही। पद्म विभूषण व साहित्य अकादमी
ये दोस्त दोस्तो की हे रितिक ओर विक्की जो सच्छे दोस्त थे जो किसी वजह से अलग हो गए पर ऐसा किया हुआ उनके बीच जो अलग हो गए /एक दिन की बात है जो रितिक ने उसे देखा उसने सोचा यही मेरा सच्चा दोस्त हे उसने इससे दोस्ती करने के लिए बहुत कोसिस की ओर आख़िर कर वो
दीपशिखा महादेवी वर्मा जी का का पाँचवाँ कविता-संग्रह है। इसका प्रकाशन १९४२ में हुआ। इसमें १९३६ से १९४२ ई० तक के गीत हैं। "दीप-शिखा में मेरी कुछ ऐसी रचनाएँ संग्रहित हैं जिन्हें मैंने रंगरेखा की धुंधली पृष्ठभूमि देने का प्रयास किया है। सभी रचनाओं को ऐसी
कविता.... व्यंग्य आदमी तो कुता होता है यह कभी सुधर नहीं सकता धोखा तो फितरत में है, मासूम लड़कियों की भावनाओ से खेलता है उनका फायदा उठाता है, दहेज के लिए पत्नी से मारपीट करता है औरत को अपने पैर की जूती समझता है दुष्ट, नीच, हरामी पापी.... बस बस बस... ह
शब्दों के खेल से बनती है एक कविता, कवि के अंतर्मन से निकल कर शब्दों के मोती को माला में पिरोती है एक कविता, ज़ेहन से कागज़ के पन्नों पर उभरती है एक कविता, कवि के ख्यालों की अधबुनी कहानी है एक कविता। ' काव्यधारा ' मेरी स्वरचित एवं मौलिक कविताओं का संग्
अब क्या लिखूं सखी तुम्हारे विषय मे। तुम्हारी हमारी मुलाकात तो जगजाहिर है। लेकिन फिर भी गर्मी के मौसम मे हमारे विचारों मे गर्मी ना आये बस यही चाहते है।
कहते है कि समय के साथ सब कुछ बदल जाता है, पृथ्वी हो या पाताल, स्वर्ग या यम लोक । समय के अनुसार सब कुछ बदल जाता है। ओर बदल जाते हे वहाँ के लोग। जब पृथ्वी पर इंसान बदल गए तो यम लोक में देव ओर बाक़ी के लोग केसे ना बदलते? इसी कहानी पर आधारित है हमारी यह
प्यार को प्रस्तुत करतीं एक मार्मिक कहानी..।