मैने बीतिया वेला नाम की किताब लिखी है, जिसमें मैंने बीते समय के दृश्यों को बियान करने की कोशिश की है। जिसमे मैंने हमारे बीते समय में हमारे बजुर्गों की कुछ ऐसी झलकियों को पेश करने की कोशिश की है जिसकी आज के समय में अहमियत कम होती जा रही है। मेरा इस कि
एक बार फिर मैं आपके पास आई हूँ। आपका और मेरा अपना मन बहलाने । फुर्सत के कुछ पलों का आनंद उठाने। कहने वाले को तभी तो कहने में स्वाद आता है, जब सुनने वाला तल्लीन होकर सुनता है जाहिर सी बात है, घिसिपिटि बातों को तो कोई सुनता नहीं। मैं लेकर आ
कविता संग्रह
प्रिय पाठकों कहानी "कई अर्से बाद" एक रोचक और प्रेम कहानी है। बहुत सारे पात्र हैं जिसमे निखिज जो अपने प्यार को पाकर भी कुछ समझ नहीं पाया कि क्यूं किस्मत ने अपने रूख बदल लिया? कौन है सच्चा जीवन साथी? नेहा या निशा या फिर घूंघट वाली। दोस्त की बात करे
ज़िंदगी के सफ़र में जो भी तजुर्बे हुए हैं उन बातों का ज़िक्र है इस किताब में। मेरे जीने का नज़रिया ही कुछ ऐसा रहा है कि शायरी मेरे हर कदम पर ढलती रही और कलम के सहारे कागज पर उतरती रही। आगाज शायराना अंदाज शायराना, इस ज़िंदगी का हर पल हर राज शायराना। म
मैंने देखा है कि अनेक बार मंगल व शनि के बारे में अनेक प्रकार से, अनेक कारणों से जनमानस को डराया जाता रहा है। मैं प्रायः लोगों को इन दोनों ग्रहों से भयभीत होते देखती आई हूं जबकि ये दोनों ग्रह इतने डरावने व नुकसानकारी भी नहीं कि जितने बताए जाते हैं। इस
यह पुस्तक मेरे द्वारा लिखे गए लेख,कविताओं व उद्धरणों का संग्रह है। संग्रह का मूल स्वरूप प्रेरणात्मक है इसलिए मैंने इसे "प्रेरणा" शीर्षक देना उचित समझा। मेरी लेखनी का नाम भी "प्रेरणा" ही है क्योंकि मुझे लिखने से प्रेरणा मिलती है। "आशा है कि यह (प्र
कहते हैं सच्चा प्यार कभी पुरा नही होता.... शायद सच ही कहते हैं... और ये मुझे तब समझ आया जब मुझे भी प्यार हुआ...। कहते हैं ना प्यार किसका पूरा होता हैं... प्यार का पहला अक्षर ही अधुरा होता हैं....। प्यार एक अलग ही एहसास होता हैं... जिंदगी में हमें ब
मन से लिखी ,मनो मे घर करने वाली कहानियां।
एक लड़की जो अपने स्वर्गवासी प्रेमी का इंतजार कर रही है, श्रेया हमेशा उदास रहती है क्योंकि कुछ महीने पहले ही उसका मंगेतर रितेश एक एक्सीडेंट में मारा गया था,वह दोनो एक साथ मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई किए और एक साथ ही एक ही हॉस्पिटल में ज्वाइन भी किया था ,
कम से कम शब्दों में अधिक भाव व्यक्त करना प्राचीन भारतीय साहित्य की विशेषता रही है। संस्कृत वाङ्मय में कहा गया है- "अर्द्धमात्रा लाघवेन पुत्रोत्सवं मन्यन्ते वैयाकरणा:।" हाइकु में भी कम से कम शब्दों में अधिकाधिक अभिव्यक्ति की अपेक्षा की जाती है। विविध
मेरे लिए अत्यंत हर्ष की बात है कि मेरा रोमांटिक काव्य संग्रह "अगर तेरा साथ हो " शब्द डॉट इन प्रशासन के माध्यम से प्रकाशित होकर आपके हाथों में है l इसके लिए मैं अंतर मन से प्रभु द्वारिकाधीश का कोटि-कोटि नमन करता हूं, साथ ही मेरे माता -पिता, भाई-बंधु,
एक ऐसा जन्म जिसको जन्म कहे या कोई अधूरा कार्य। इस ब्लैक में अपने आप को खोजता एक इंसान
समाज में कितने लोग हैं जो अपनी भावनाओं को शब्द नहीं दे पाते और मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी भावनाओं के प्रति मुखर हो जाते हैं और 'तेज' का तमगा पा जाते हैं। ऐसे सभी लोगों की भावनाओं के अंतर्द्वंद को अभिव्यक्त करने का