"दोहावली"
नमन शहीदों को नमन, नमन हिंद के वीर।
हर हालत से निपटते, आप कुशल रणधीर।।-1
नतमस्तक यह देश है, आप दिए बलिदान।
गर्व युगों से आप पर, करता भारत मान।।-2
रुदन करे मेरी कलम, नयन हो रहे लाल।
शब्द नहीं निःशब्द हूँ, कौन वीर का काल।।-3
राजनयिक जी सभा में, करते हो संग्राम।
जाओ सीमा पर लड़ो, खुश होगी आवाम।।-4
वोट माँगने के लिए, अब मत आना गाँव।
देखो बिन अपराध के, उजड़ रहे हैं छाँव।।-5
बेमानी होगी बहुत, गर हम चूके आज।
बिना बताए टूटिये, जैसे टूटे बाज।।-6
दुश्मन जब शैतान हो, तब मत बाँचो नीति।
खंडित-रंजित सिर करो, यही सत्य की रीति।।-7
बहुत ले लिया प्रण सपथ, बहुत किया व्यवहार।
पाक पातकी देश है, हो उसका उपचार।।-8
कई बार वादा हुआ, कई बार संकल्प।
बदला लेंगे पाक से, मिल तो जाय विकल्प।।-9
बहुत कष्ट की बात है, होते वीर शहीद।
बिना युद्ध की आहुती, देते लखन हमीद।।-10
देखो उस घर को तनिक, जहाँ पार्थिव देह।
रिश्ते लिपट मसोसते, उजड़ा विधवा गेह।।-11
सुन-सुन कर छाती फटी, हृदय हुआ बेचैन।
री सीमा कैसी खबर, बाँच रहे हैं नैन।।-12
वीर जवानों की दशा, किसने किया खराब।
किसने आँखों में भरा, बिन दरिया के आब।।-13
बूँद-बूँद में तपिश है, कण-कण में भूचाल।
लगता फटने को विकल, ज्वालामुखी मलाल।।-14
एक घाव सूखा नहीं, दूजा है तैयार।
रे भारत के वीर अब, जा घर में घुस मार।।-15
नहीं सुधरते हैं कभी, जल्लादों के गाँव।
कहाँ पाक के पास है, नीयत नेकी छाँव।।-16
पाक न खुद का हो सका, मिली उसे हर छूट
बस इतना वह जानता, मार-काट अरु लूट।।-17
कीचड़ में जो जीव है, उसे न लाभ न हानि।
जीता है पी गंदगी, मरता है गति जानि।।-18
रेंग रहा है पातकी, कहता यही नसीब।
भार धरा का बन गया, पाकिस्तान अजीब।।-19
मानव का चोला लिए, घूम रहा हैवान।
कहता ईश्वर की कसम, मैं भी हूँ इंसान।।-20
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी