शिल्प -मगण-भगण,सगण- (222 -211 -112 ) ९ वर्ण 4 चरण , 2-2 सम तुकांत
"पवित्रा छंद"
बोलो बैठो मनुज कभी
भैया भाभी महल सभी।
आओ भाई पहल करो
मीठी मीठी चुहल भरो।।
देखो रैना सरक रही
द्वारे मैना फरक रही।
साथी सारे मचल रहे
मौका मुग्धा मलक रहे।।
महातम मिश्र 'गौतम' गोरखपुरी