सेक्स से जुड़ा एक बहुत ही जरूरी शब्द है, ‘कंसेंट’. यानी सहमति, इजाजत. बोले तो परमीसन. रेप पर जब भी बहस हुई, ये सवाल हमेशा उठा कि हम किसे रेप कहें. किसी कम्बख्त ने ये भी कहा कि लड़कियों को रेप में मजा आता है. पति के जबरन सेक्स को हम आज भी रेप नहीं मानते. कहते हैं वो तो पत्नी है. पत्नी के साथ सेक्स नहीं करेगा तो किसके साथ करेगा? या वो तो गर्लफ्रेंड है. जब रिलेशनशिप में आई, तब नहीं पता था कि लड़के को सेक्स चाहिए होता है? अगर आपके दिमाग में भी सेक्स और रेप के मायने क्लियर नहीं हैं तो आज दोनों के बीच फर्क जान लीजिए. नफीसा अहमद के ट्वीट के जरिये. नफीसा अहमद एक एक्टिव ट्विटर यूजर हैं. इंडियन मूल की अफ़्रीकी हैं. देखिए कितने शानदार तरीके से अपनी बात कह रही हैं. 2. आप मेरी खोपड़ी पर पिस्तौल लगाकर जबरन 5 डॉलर ऐंठ लें, तो भी वो लूट हुई. भले ही मैंने अपने हाथ से आपको पैसे निकालकर दिए, लेकिन अपनी मर्जी से नहीं, आपके फ़ोर्स करने पर. 3. अगर मैं आपको 5 डॉलर अपनी मर्जी से दूं, इसका ये मतलब नहीं है कि आपके दोस्त को भी 5 डॉलर दूंगी. वो मुझसे ये नहीं कह सकता कि, ‘उसे तो दिए, मुझे क्यों नहीं दिए?’ 4. अगर आपने मेरे 5 डॉलर चुराए, और मैं कोर्ट में साबित नहीं कर पाई. फिर भी ये सच नहीं बदलेगा कि आपने चोरी की है. 5. हो सकता है कि मैंने पहले कभी आपको 5 डॉलर दिए हों. इसका ये मतलब नहीं कि मैं बार-बार देना चाहती हूं. 6. अगर मैं आपको अपना पर्स पकड़ने को दूं, क्या आप ये मान लेंगे आप उसमें से पैसे निकाल सकते हैं? समझ गए ना! अब दोबारा मत पूछना, वरना पानी में मुंह डुबा देंगे और पान का पत्ता चिपक जाएगा थोबड़े पर!
1. अगर आप मुझसे 5 डॉलर मांगें, मैंने इतनी शराब पी हुई हो कि मैं हां या ना कहने की स्थिति में नहीं हूं, तो इसका ये मतलब नहीं कि आप मेरे पर्स से 5 डॉलर खुद ही निकाल लेंगे. मैंने ‘ना’ नहीं कहा. पर ‘हां’ भी नहीं कहा.
साभार : The Lallantop