स्थान - सरौंहां
सद्गुणों का सातत्य मनुष्य के जीवन में बहुत आवश्यक है | कहा ऐसा भी जाता है कि मन्त्र का अर्थ नहीं होता भाव होता है और जो उस भाव से संयुक्त हो जाता है तो उस भाव के कारण और उस मन्त्र के जप के कारण उसको सुख शान्ति और संतोष मिलता है | यदि आपने कोई नियम बनाया है तो वह भंग न हो एक छोटा सा सद्गुण ले लें जैसे प्रातः जल्दी जागना तो उसके कारण बहुत से सद्गुण आ जायेंगे आध्यात्मिक रुझान वाले डा उमेश्वर पांडेय जी विवेक चूडामणि की व्याख्या से संतुष्ट हुए और आग्रह किया कि उपनिषदों पर आचार्य जी बोलें लल्लन टाप वाले सौरभ द्विवेदी जी उपनिषदों पर आचार्य जी का साक्षात्कार लेना चाहते हैं | युग भारती की प्रार्थना का पहला छन्द ईशावास्यमिदं सर्वं..... ईशावस्योपनिषद् (शुक्ल यजुर्वेद का 40वां अध्याय ) का प्रथम छन्द है |
आचार्य जी ने कहा ईश्वरीय अवसरों (जैसा यह सदाचार संप्रेषण है ) को गंवाना नहीं चाहिए |
परामर्श :यह देखें कि धर्म के दस लक्षणों में कौन कौन से अपने अन्दर हैं |
(आचार्य जी ने मनीष कृष्णा जी और प्रदीप जी का भी उल्लेख किया)