आज दिनांक 19-08-2021 निगदित प्रस्तुत है :-
स्थान :सरौंहां
सूचना : श्री विजय मित्तल जी (बैच 1981) के पिता जी का कल स्वर्गारोहण हो गया
मूल विषय : आचार्य जी ने ईशावास्योपनिषद् के छठे छन्द , यस्तु सर्वाणि भूतान्यात्मन्येवानुपश्यति .... सातवें छंद
यस्मिन् सर्वाणि भूतान्यात्मैवा..., आठवें छन्द स पर्यगाच्छुक्रमकायमव्रण.... नवें छन्द अन्धं तमः प्रविशन्ति...और ग्यारहवें छन्द विद्यां चाविद्यां च...की व्याख्या की |
परामर्श :निराश न हों हताश न हों कर्म अकर्म विकर्म की जानकारी रखें लेकिन इनमें उलझें नहीं सहज जीवन में चलते जायें विश्वथा संव्याप्त अन्धकार में हम एक छोटे से दिये के रूप में जलें और हमें ज्ञान,संयम, श्रद्धा, विश्वास, आत्मशक्ति, शौर्य, पराक्रम और समर्पण प्राप्त हो इसके लिए तपोधन विवेकज्ञ अन्तःप्रज्ञ अध्यात्मवेत्ता श्री ओम शंकर त्रिपाठी जी सर्वथा अनवरत प्रयासरत हैं l उन्हीं के प्रोक्त वायवीय संप्रेषण हमारा प्रतिदिन मार्गदर्शन कर रहे हैं l उसी क्रम में प्रस्तुत है आशंसु श्रोताओं के समक्ष आज |