हम एक दूसरे से मिलें यह भारत वर्ष के प्रेम का आधार है संपूर्ण संगठन का सूत्र है समय समय पर ऐसे आयोजन हों कि लोग दूर दूर से भी आयें स्थान स्थान पर प्रेम, व्यवहार, संगठन,सदाचार, संयम, स्वाध्याय, राष्ट्र -निष्ठा के प्रशिक्षण हों l हम लोगों को ऐसे कार्यक्रमों में अवश्य पहुंचना चाहिए जैसा कल सरस्वती विद्या मन्दिर उन्नाव में हुआ l आचार्य जी का प्रयास रहता है कि ऐसी कवि गोष्ठियां हों जिनसे (कथात्मक शैली में )संस्कार सद्विचार प्रसारित हों l ऐसी ही एक कवि गोष्ठी कल सम्पन्न हुई जिसमें भावना, विचार,स्वाध्याय और मां सरस्वती की कृपा से अद्भुत शब्द संयोजन की कला से पूर्ण नौजवान कवि अतुल जी की प्रस्तुतियां भी हुईं और स्वाध्याय के विग्रह के साथ रहने वाले प्रेम की प्रतिमूर्ति उत्कर्ष अग्निहोत्री जी (संचालन भी किया ) ने भी प्रभावित किया |
परामर्श :
1 अपने ग्रंथों का परम्पराओं का चिन्तन मनन करें जिससे शान्ति और स्वाध्याय का सुख मिले l
2. लम्बी आयु का भी प्रयास करें l
3. संगठित हों विचारशील हों समृद्ध शक्तिसम्पन्न हों l
4. अतुल वाजपेयी जी और उत्कर्ष अग्निहोत्री जी को संगठन में शामिल करें l