धर्म-शून्य जीवन जीने वालों को न तो स्वयं आनंद आता है न उनसे किसी को आनंद आता है धर्म के चार चरण-तप, ज्ञान, दया और दान लखनऊ युग भारती के कुछ सदस्य आचार्य जी से रविवार को मिलेंगे समाज को संगठित करना आवश्यक है, राम का जीवन हमारे लिए प्रेरणा का है |
शौर्य पराक्रम का त्याग न करते हुए ही मानस का पाठ यज्ञ, हवन, पूजन आदि करें |