हम परमपिता परमात्मा के पुत्र हैं यह संपूर्ण भारत का एक भाव है, हम जानते हैं कि सत्कर्म करेंगे तो पुनर्जन्म बहुत अच्छा होगा, कथाओं के माध्यम से कोई विषय अधिक सरलता से समझा सकते हैं, Humpty Dumpty sat on a wall, To a Skylark जैसी विसंगत चीजें सुनाकर बच्चों को भ्रमित नहीं करें, हम पाप नहीं करना चाहते हो जाता है तो अच्छी कथाओं का श्रवण करें और सुनायें तो ऐसे व्यसन दूर होंगे ही l पञ्चतन्त्र, हितोपदेश, बेताल पचीसी,सिंहासन त्तीसी, महाभारत की कथाएं सब बहुत ज्ञान देती हैंl ऐसे ही गीता प्रेस के बोध -कथा अंक से आचार्य जी ने एक कथा सुनाई l
कथा इस प्रकार है, एक गृहपति को यह चिन्ता सताने लगी कि उसके पास नौ पीढ़ियों तक का तो प्रबन्ध है लेकिन उसके
आगे क्या होगा ll यह चिन्ता उसकी कैसे दूर होती है इसके लिए यह उद्बोधन सुनें l