चार लोग हमारे प्रयास से आत्मशक्तिसम्पन्न हो जाते हैं तो उस आत्म्शक्तिसंपन्नता का संतोष मिलता है l हम किसी विधि व्यवस्था के माध्यम से इस संसार में आये हैं l हमारा आत्मबोध जागृत है तो हम कहीं भी संघर्ष कर सकते है और विजयी भी होंगे l कुछ समय निकालकर हम आत्मबोध के लिए चिन्तन करें कितने कर्तव्य अपने शरीर, अपने परिवार, अपने परिवेश, स्वदेश के लिए किये और इस प्रकार के समीक्षात्मक जीवन से दूसरे लोग आपसे प्रभावित होते हैं और आपका सहारा चाहते हैं l भारत के कण कण में अंकित , गौरव गान हमारा है! हम हिंदू ऋषियों के वंशज , हिंदुस्तान हमारा है!! ....और इसी से मिलती जुलती आचार्य जी ने अपनी एक कविता सुनाई जो प्राप्त है उसमें से तत्त्व सत्त्व निकालें |
सूचना : 1 आचार्य जी आज कानपुर आ रहे हैं l 2. 29-08-2021 को उन्नाव विद्यालय में एक कार्यक्रम है आप उसमें आमन्त्रित हैं l व्योमचारी आस्थेय आचार्य श्री ओम शङ्कर त्रिपाठी जी द्वारा शंसित आज |