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सदाचार बेला (12 -08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022

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 (श्वेतवाराह कल्प का एक दिन ) स्थान :सरौंहां  

सूचना : डा अमित गुप्त जी, राहुल मिठास जी और प्रदीप जी (सभी 1989बैच ) की सहायता से आचार्य जी का गांव
संबन्धी समस्या के कारण उत्पन्न हुआ मानसिक बोझ उतरा l
 

मूल विषय : विवेक चूडामणि चिन्तन और भाषा की दृष्टि से क्लिष्ट है जब कि उपनिषद् ऐसे नहीं हैं | युग भारती की प्रार्थना के प्रथम छन्द -  

ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत् । तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम् ।।  

की आचार्य जी ने बहुत अच्छी व्याख्या की अन्त में पिता की छत्रछाया से वंचित संत ज्ञानेश्वर अपने भाईबहनों निवृत्तिनाथ, सोपान और मुक्ताबाई) के साथ अपमान के कठोर आघात सहते हुए 'शुद्धिपत्र' की प्राप्ति के लिये उस समय के सुप्रसिद्ध धर्मक्षेत्र पैठन में जा पहुँचे। किम्वदंती प्रसिद्ध है : संत ज्ञानेश्वर जी ने यहाँ उनका उपहास उड़ा रहे ब्राह्मणों के समक्ष भैंसे के मुख से वेदोच्चारण कराया था। अभिश्वैत्य वागृषभ श्री ओमशङ्कर त्रिपाठी जी द्वारा प्रोक्त उद्बोधनों के श्रवण हेतु अभिगृध्न श्रोताओं के सम्मुख प्रस्तुत है |  

   

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रचनाएँ
सदाचार बेला (अगस्त 2021)
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नियमों के अनुकूल किया गया काम ही सदाचार कहलाता है, जैसे—सत्य बोलना, सेवा करना, विनम्र रहना, बड़ों का आदर करना आदि। ये उत्तम चरित्र के गुण हैं। जिस व्यक्ति के व्यवहार में ये गुण होते हैं, वह सदाचारी कहलाता है। ... इस तरह सदाचार का अर्थ है अच्छा व्यवहार सदाचारी व्यक्ति में गुरुजनों का आदर करना, सत्य बोलना, सेवा करना, किसी को कष्ट न पहुँचाना, विनम्र रहना, मधुर बोलना जैसे गुण होते हैं।
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सदाचार बेला ( 2. 8. 21 का उद्बोधन )

5 मार्च 2022
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 कल 01-08-2021 को संपन्न हुई युग भारती बैठक की चर्चा, संतोष मिश्र जी ( बैच1988)आज आचार्य जी से मिलेंगे, सद्गृहस्थ होते हुए हम लोगों का समाजसेवा का भाव (यश, सम्मान, सुविधाऔर समाज से लाभ से इतर )परिष्कृ

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सदाचार बेला (3-08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 आचार्य जी जब 6वीं/ 7वीं कक्षा में अध्ययनरत थे तो उस समय की एक घटना बताई l श्री राम चरित मानस में तत्व है, तथ्य है कथा भी है और सलीके से रखे गये प्रसंग भी हैंl हम लोगों का ध्यान में यह भाव प्रविष्ट

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सदाचार बेला ( 4-08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 भारतीय शैली सामंजस्य और समन्वय स्थापित करने की शैली है, मनुष्य में मनुष्यत्व होना ही चाहिए, हम लोग वैचारिक क्षेत्र में वैश्विक सिद्धांतों का प्रतिपादन करें, रज्जु भैया का एक संस्मरण, आने वाले दिनों म

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सदाचार बेला (5 -08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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हम परमपिता परमात्मा के पुत्र हैं यह संपूर्ण भारत का एक भाव है, हम जानते हैं कि सत्कर्म करेंगे तो पुनर्जन्म बहुत अच्छा होगा, कथाओं के माध्यम से कोई विषय अधिक सरलता से समझा सकते हैं, Humpty Dumpty sat o

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सदाचार बेला (6-8-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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धर्म-शून्य जीवन जीने वालों को न तो स्वयं आनंद आता है न उनसे किसी को आनंद आता है धर्म के चार चरण-तप, ज्ञान, दया और दान लखनऊ युग भारती के कुछ सदस्य आचार्य जी से रविवार को मिलेंगे समाज को संगठित करना आव

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सदाचार बेला (7-8-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 नियम एक व्यवस्था है जिसका हम नियमित रूप से जितना पालन करेंगे उतना लाभ होगा भक्ति माया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा है जो होना है जैसे होना है जिस प्रकार से होना है वो होकर रहेगा विवेकी पुरुष को आत्मस्थ

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सदाचार बेला (8-8-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 स्थान ---सरौंहां परिवसथ   सूचना -----युगभारती लखनऊके कुछ सदस्य आचार्य जी से प्रयास केन्द्र पर मिलेंगे   प्रसंग ------ गीताप्रेस के संस्थापक हनुमान प्रसाद पोद्दार जी (1892-1971) और मदन मोहन मालवीय ज

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सदाचार बेला (9-8-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 दिनांक ---09-08-2021   स्थान ---सरौंहां   उदन्तक --जो भेंट स्मृति में रहे तो उस भेंट का आनन्द अनुपम है ऐसी ही एक भेंट लेफ्ट. कर्नल अभिषेक अग्निहोत्री जी (2002 बैच ) ने प्रयास केन्द्र पर आचार्य जी स

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सदाचार बेला (10-8-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 स्थान -- सरौंहां सदाचार एक सतत उपस्थित रहने वाली व्यवस्था है परिस्थिति है आचरण है, मनुष्य के साथ कोई न कोई आचरण संबद्ध रहता है और यदि आचरण सत्हो तो उसको भी आनन्द आता है और जिसके साथ वो आचरण संलग्न हो

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सदाचार बेला (11-8-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 स्थान - सरौंहां   सद्गुणों का सातत्य मनुष्य के जीवन में बहुत आवश्यक है | कहा ऐसा भी जाता है कि मन्त्र का अर्थ नहीं होता भाव होता है और जो उस भाव से संयुक्त हो जाता है तो उस भाव के कारण और उस मन्त्र

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सदाचार बेला (12 -08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 (श्वेतवाराह कल्प का एक दिन ) स्थान :सरौंहां   सूचना : डा अमित गुप्त जी, राहुल मिठास जी और प्रदीप जी (सभी 1989बैच ) की सहायता से आचार्य जी का गांवसंबन्धी समस्या के कारण उत्पन्न हुआ मानसिक बोझ उतरा l

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सदाचार बेला ( 13-08-2021का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 स्थान : सरौंहां निवसथ परमात्मा यदि शरीर में शक्ति, मन में विश्वास और बुद्धि में समझ देता है साथ ही चैतन्य को जागृत रखता है तो हमें कर्तव्यों से विमुख नहीं होना चाहिए l   आचार्य जी ने 18 मन्त्र वाले

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सदाचार बेला (14 -08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 स्थान :सरौंहां (इस प्रातिदैवसिक प्रातर्होम को आप अपनी संश्रवण रूपी उपस्थिति से सफल बनायें )   कबीरदास जी की एक साखी को उद्धृत करते हुए आचार्य जी ने बताया कि सांसारिक सुख हमारे यथार्थ स्वरूप को विस्म

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सदाचार बेला (15-08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 ओम शङ्कर त्रिपाठी जी द्वारा प्रोक्त अत्यन्त भविक भाविक सारस्वत   स्थान :उन्नाव (आसनान्तरित )   सूचना :आचार्य जी कोआज 8 बजे स्वतन्त्रता दिवस के एक कार्यक्रम में जाना है l   विषय : ईशावास्योपनिषद्

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सदाचार बेला (16-08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 स्थान :सरौंहां (इस प्रातिदैवसिक प्रातर्होम को आप अपनी संश्रवण रूपी उपस्थिति से सफल बनायें )   कबीरदास जी की एक साखी को उद्धृत करते हुए आचार्य जी ने बताया कि सांसारिक सुख हमारे यथार्थ स्वरूप को विस्म

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सदाचार बेला (18-08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 अखण्ड हिन्दुराष्ट्र का हृदय हृदय में वास हो, उपासना गृहों में शौर्य शक्ति का निवास हो,   "भविष्य" में न स्वार्थ भीरुभावना प्रविष्ट हो , हृदय में वीरता रहे स्वभाव किंतु शिष्ट हो।   ऐसी ही ओजस्वी कव

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सदाचार बेला (19-08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 आज दिनांक 19-08-2021 निगदित प्रस्तुत है :-   स्थान :सरौंहां   सूचना : श्री विजय मित्तल जी (बैच 1981) के पिता जी का कल स्वर्गारोहण हो गया   मूल विषय : आचार्य जी ने ईशावास्योपनिषद् के छठे छन्द , यस्

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सदाचार बेला (20 -08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 दिनांक 20-08-2021 का ईषल्लभ संवदन   स्थान : सरौंहां   मनोयोग पूर्वक किया गया कार्य स्वयं को तो आनन्दित करता ही है और जो उस कार्य और व्यवहार को देखता और अनुभव करता है उसे भी आनन्द प्राप्त होता है l

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सदाचार बेला (21-08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 "देशप्रेम"का हो गया, जिसका सहज स्वभाव । उसके चेहरे पर सहज, अति उदात्त अनुभाव ।।   जैसी देशभक्ति में अभिपरिप्लुत रचनाओं से काव्य -जगत को प्रकाशमय करने वाले, प्रातिदैवसिक श्रवण -सुभग उद्बोधन रूपी वैत

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सदाचार बेला (22 -08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 रहो संगठित और सदा संन्नद्ध रहो , मितभाषी रहकर अनुशासबद्ध रहो ,   त्याग निराशा कुंठा शौर्य प्रबुद्ध रहो, शक्ति उपासन सहित भाव से शुद्ध रहो ।   ऐसी ही अनगिनत पंक्तियों से हमारा मार्गदर्शन करने वाले

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सदाचार बेला (23 -08-2021 का उद्वोधन)

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 अभिविश्रुत विद्वान आचार्य श्री ओम शङ्कर त्रिपाठीजी द्वारा उक्त इन प्रातःकालीन प्रतीक्ष्य उद्बोधनों का सातत्य वर्णनातीतहै l हमारी ज्ञानाग्नि दग्ध हो, हम शौर्य -संयुत अध्यात्म में रत हों, हमारा राष्ट्र

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सदाचार बेला (24 -08-2021 का उद्वोधन)

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 के उद्बोधन में आचार्य जी ने केनोपनषिद् के प्रथम मन्त्र केनेषितं पतति प्रेषितं मनः.... और दूसरे मन्त्र श्रोत्रस्य श्रोत्रंमनसो मनो यत् वाचो....की व्याख्या की प्रकृति से हमारा जुड़ाव जितना दूर हो जाता ह

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सदाचार बेला (25-08-2021 का उद्वोधन)

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 स्थान : सरौंहां   मूल विषय : चार खंड वाले केनोपनिषद् में तीसरे से चौथे खंड के बीच की एक कथा देवासुर संग्राम समाप्त होने पर जब देवता जीत गये तो उन्हें दम्भ हो गया इसी दम्भ को दूर करने के लिये परब्रह्

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सदाचार बेला (26-08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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विदित हो कि हम अध्यात्म वैराग्य राग पौरुषपराक्रम एकत्र करके सोद्देश्य जीवन जीने वाले असामान्य निषेवक हितप्रवृत्त सत्यधृति आचार्य श्री ओम शङ्कर त्रिपाठीजी द्वारा कथित प्रातिदैवसिक सदाचार वेला से अजस्र

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सदाचार बेला (27 -08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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 चार लोग हमारे प्रयास से आत्मशक्तिसम्पन्न हो जाते हैं तो उस आत्म्शक्तिसंपन्नता का संतोष मिलता है l हम किसी विधि व्यवस्था के माध्यम से इस संसार में आये हैं l हमारा आत्मबोध जागृत है तो हम कहीं भी संघर्ष

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सदाचार बेला (28 -08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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स्थान : उन्नाव जहां प्रेम, आत्मीयता, विश्वास, एक दूसरे के प्रति चिन्ता और एक दूसरे के प्रति आनन्द हो वह परिवार कहलाता है परिवार बढ़ता है तो आनंद होता है और हमने ने तो पूरी वसुधा को ही परिवार माना है जह

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सदाचार बेला (29 -08-2021 का उद्वोधन)

5 मार्च 2022
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प्रस्तुत है परमप्रख्य आशुकवि आचार्य श्री ओम शंकर त्रिपाठी जी का आज दिनांक 29-08-2021 का उद्बोधन कार्य कर्म का प्रभाव है कर्म भावनाओं की अभिव्यक्ति है और भावनाएं परमात्मा की एक ऐसी मानवीय निधि है जो प्

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सदाचार बेला (30-08-2021 का उद्वोधन)

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 हम एक दूसरे से मिलें यह भारत वर्ष के प्रेम का आधार है संपूर्ण संगठन का सूत्र है समय समय पर ऐसे आयोजन हों कि लोग दूर दूर से भी आयें स्थान स्थान पर प्रेम, व्यवहार, संगठन,सदाचार, संयम, स्वाध्याय, राष्ट्

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