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क्या राज हो सकता हैं? बहू को सावन हर्षाने लगा है फिर क्यों थार की धूल में रहना चाहेगी। घुमा-फिराकर बाते क्यों करती हों? तुम ही सोंचो.....जब-तक निशान्त यहाँ था तो बहू मायके में थीं।जब निशान्त गया तो सस

सुनैना ने देखा कि निशान्त चला गया।अपने मुख का ताला खोला और कमरे में प्रवेश किया।....अरी ओ महारानी क्या टसुआ ही बहाती रहोगी।घर भी सभालोगी?अभी तक चाय नहीं मिली,मेरा तो सिर पीर के मारे फ़टा जा रहा हैं।बहु

(जीवन का दूसरा भाग) एक तरफ़ जहाँ कृपा जिंदगी को नया रंग नई दिशा दे रहा था।दूसरी तरफ़ द्रोण प्राश्चित में था।कृपा के साथ बहुत अन्याय किया हैं।कृपा की जम़ीन जायदाद को हड़प कर खून के रिश्तों को कंलकित किया

जन समुदाय के समक्ष वसीयत सुनाई गई।सुनकर सबकर हक्के-बक्के रह गयें। क्रोध आया...जीते जी मुझे अपनी जिंदगी जीने नहीं दी।....और मरने के बाद भी जीने नहीं देना चाहतें।मै अपनी लाईफ-स्टाईल किसी के कहने से चेंज

प्रिय सखी।    कैसी हो।दो चार दिन हम पटल से नदारद क्या हुए हमारी सखी हमे मंच के डायरी सेक्शन में दिखाई नही दे रही। अभी समूह मे पूछा है।नही सखी तुम कैसे गायब हो सकती हो।तुम ही तो मेरे विचार और

सलमा बला की खूबसूरत थी नाक नक्श भगवान ने फुर्सत मे गढ़े थे उसके ।तीखी नाक मे हीरे की नथनी कमाल लगती थी ऊपर से रंग या अल्लाह! ऐसा था जैसे किसी ने दूध मे केसर घोल दी हो ।कटीला बदन और ऊपर से जब कमर को बल

" जिसके दिल में प्रेम है, इंसान के रूप से।वह मनुज प्यार करता है, ईश्वर के स्वरूप से।समय का तकाजा है, इंसान को बदल देता है।कुछ छीन लेता है, कुछ जन को दे देता है।प्रेम के रिश्ते हैं,जो सदियों तक याद रहत

सखि, आज तो मन बड़ा व्याकुल हो रहा है । छमिया भाभी के दर्शन नहीं हुए हैं ना आज । जब तक उनके दर्शन नहीं होते, दिन की शुरुआत ही नहीं होती है हमारी । तो आज की पैरोडी छमिया भाभी के ही नाम करते हैं । दर

श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ समाप्त कर मैं अल्पाहार हेतु डाइनिंग टेबल पर आ गया । श्रीमती जी अल्पाहार तैयार कर रहीं थीं। मैंने अपना टीवी ऑन कर समाचार चैनल लगा दिया । समाचारों में  मदिरा की दुकानों पर ल

वो स्वयं को लोकतंत्र का पुरोधा बताये बैठे हैं  और दशकों से पार्टी पर कब्जा जमाये बैठे हैं  कहते हैं कि सेक्युलरिज्म उनकी रग रग में है खास समुदाय पर मेहरबानियां लुटाये बैठे हैं  अभिव्यक्

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गर्मी आती है तो सुबह-सुबह घूमना-फिरना लगभग हर दिन का एक जरुरी काम हो जाता है। हमारा हर दिन घूमना मतलब से सीधे श्यामला हिल्स पर स्थित जलेश्वर मंदिर तक यानि मतलब 'मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक' वाली है। क

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-अनिल अनूप इशारे करती आंखों को देख गाड़ियां अक्सर यहां धीमी हो जाती हैं. काजल भरी आंखें, मेकअप से सजे चेहरे और चटकीले लिबास लपेटे सैकड़ों जिस्म रोज़ाना इन सड़कों पर किसी का इंतज़ार करते हैं.

द्वारपाल ने रोका,ठ़हरो यह देवी जागरण तुम जैसो के लिए नहीं हैं।जाने कहाँ-कहाँ से चले आते हैं। कृपा ने कहा,माँ के दरबार में कोई छोटा-बड़ा नहीं हैं।माँ की दृष्टि सबपर हैं,हम सब संतान हैं। द्वारपाल हँसने ल

द्वारपाल ने रोका,ठ़हरो यह देवी जागरण तुम जैसो के लिए नहीं हैं।जाने कहाँ-कहाँ से चले आते हैं। कृपा ने कहा,माँ के दरबार में कोई छोटा-बड़ा नहीं हैं।माँ की दृष्टि सबपर हैं,हम सब संतान हैं। द्वारपाल हँसने ल

एक व्यक्त के सिर पर टोकरी में फल रखे थे जो घूम-घूमकर बैच रहा था। कृपा के मन में बिचार किया कि शहर में किसी न किसी की मदद लेनी चाहिए। छोटे-मोटे काम करने बाले,फैरी लगाने बालो पर विश्वास कर सकते हैं।जैसे

विख्यात ने सुना कि किसन का अपहरण,तो चुप न रहा।....नहीं नहीं ऐसा नहीं कर सकता हूँ।किसन मेरा भाई हैं। मित्र:-अरे मित्र यह क्या सचमुच का अपहरण थोड़े ही हैं।हमको पैसे चाहिए,बस पैसे मिले हम छोड़ देगें।हम सबस

ग्रामबासी कर भी क्या सकते थें।सब बदुआ और कोस रहे थें।बच्चे बुरे रास्ते पर चलने का होसला माँ-बाप की सह का ही परिणाम हैं।आज यहाँ कुकर्म किया जाने और कहाँ क्या-क्या करेगा। द्रोण ने कृपा को दर-दर भटकने को

अगले दिन सुबह मिनाक्षी जी तैयार होकर गेट पर आदित्य जी का इंतज़ार कर रहीं थीं। पांच मिनट ऊपर हो चुके थे। और उनका पारा अब सातवें आसमान पर पहुंच चुका था। तभी उन्हें आदित्य जी आते दिखाई दिए। ट्रैक सूट में

माता-पिता मेरे लिए भगवान है,मेरा मान है मेरा सम्मान है।उन्होंने बड़ी नाज से पाला मुझे,हर ख्वाहिश से संवारा जहान है।कभी मेरी इच्छा अधूरी ना रखी,हर दिन मुझे प्यार दिया।अपनी इच्छा खत्म कर ,मुझे यह संसार

माया के लड़का पैदा होने पर वह बहुत खुश थी। वह सोच रही थी कि वह एक भाग्यशाली औरत है। वह अपने घर पर रहने से जितनी दुखी थी। अब उसे उससे कहीं ज्यादा खुशी का अहसास हो रहा था। वह हरीश को भी बड़ा प्रसन्न रखत

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