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*एहसास के रंग*कुछ अनकहे एहसास, कुछ अनसुनी,बातें और कुछ अनछुए रिश्तों को शब्दों में पिरोकर कुछ आज लिखा है। मैंने कुछ ख़ास लिखा है। । कुछ यादें हैं,कुछ सपने हैंऔर कुछ रिश्तें हैं जो दूर होकर भ

भाग - 4 इधर... मोहनी को इसी शहर में शिक्षिका की नौकरी लग गई थी, जिसके कारण वह कुछ दिनों तक मायके में हीं रहने का मन बनाकर ससुराल से मायके आयी थी।और.... रोहन ने भी लगभग एक महीने की छुट्ट

‍भाग - 3लगभग पाँच दिन मोहनी को यूं ही मायके में निकल गया, लेकिन वह खिड़की एक - दिन भी नहीं खुली। मोहनी को यह समझ में नहीं आ रही थी कि उसे क्या हो गया है....? क्या वह कमरा खाली करके चला गया,

आज प्रतिलिपि सखि कहीं नजर नहीं आ रही थीं । पिछले दो साल से हम लोग आपस में जुड़े हुए हैं । सुख दुख में एक दूसरे से बतियाते रहते हैं । कभी दिल का गुबार निकाल लेते हैं तो कभी खुशियां आपस में बांट लेते हैं

दिनांक: 07.04.2022समय : रात 11:30 बजेदुनिया का प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी प्रतिभा के साथ पैदा हुआ है. अब यदि दुनिया के सभी व्यक्ति में प्रतिभा है तो सभी आदमी अपने जीवन में सफल कहलाना चाहिये क्योंकि

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‘ मेरे परिवार की आर्थिक हालत खींचतान के उदयपुर के आम निम्न मध्यवर्गीय घरों जैसी ही थी। इसलिए पारिवारिक बोझ कम करने के लिए मेरी शादी 18 साल की उम्र में उदयपुर रेलवे स्टेशन के पास कर दी गई। अब शादी

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अनिल अनूप बरेली में स्टेज परफॉर्म कर काफी अवॉर्ड-रिवॉर्ड जीतने वाली ट्रांसवुमन सोनिया पांडे इन दिनों रेलवे में जॉब करती हैं। सोनिया की इच्छा अगले साल तक मुंबई आकर अपने डांस का हुनर लोगों के स

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मैं तब 13 साल की थी। होली का दिन था। पापा के दोस्त घर आए थे। मैं किचन में चाय बना रही थी। तभी पापा के दोस्त पीछे से आए और मेरे गाल पर रंग लगाने लगे। रंग लगाते-लगाते उनके हाथ मेरी कमीज के अंदर जा

"मानो तो सुख" सुधिजन हमें लाख समझाए दुनिया में कोई सुख न पाए मानो तो सुख है बस वरना ढूँढे से सुख नजर न आए

तेरी  यादों के सहारे कुछ सपनों को पाल रक्खा है तेरी हर एक निशानी को अब तक सम्भाल रक्खा है मेरी तो जान ही निकल जाती अब तक मगर मैं जान हूँ तेरी, यही सोचकर खुद का खयाल रखा है।।    

अपनी पसंद को किसी और के साथ देखकर, दिल दुखता बहुत है । होठों पर मुस्कुराहट ही सही, आँखों में गम दिखता बहुत है । हार जाते हैं मेरे जैसे सच्चे लोग, इस जमाने में झूठ बिकता बहुत है । तुम समझो जज्बातों को

न चाहते हुए भी, दिल खोता जा रहा है । वो अंजान,अजनबी, अपना होता जा रहा है । इन आँखों में उसके ख्वाब, पलने लगे हैं । न चाहते हुए भी हम उसके लिए, सवंरने लगे हैं । उसकी सूरत बहुत भाने लगी है । इतना कि ख्

प्यार बहुत है तुमसे,पर कभी जता नहीं सकती।क्या मजबूरी है मेरी,तुम्हें बता नहीं सकती।मेरा यकीन कर,तेरे लिए जमाने से लड़ सकती हूँ ।मगर वो अपने हैं मेरे,जिनके खिलाफ मैं जा नहीं सकती।वो जरुरी हैं मेरे लिए,औ

सब हैं अनजाने हम रिश्तों की डोर में, बंधकर भी अनजाने हैं, जिन्हें हम अपना कहते हैं, वह भी तो बेगाने हैं, अगर ऐसा न होता, तो बूढ़ी आंखें अपने ही अंश का, वर्षों तक इंतज़ार न करतीं, एक भाई दूसरे भाई, के

घर पहुंच आदित्य जी मिनाक्षी जी के बारे में ही सोचते रहे। कितनी बदल गई है। उन खूबसूरत बोलती आंखों पर को अब चश्मे ने छुपा लिया, साफ दमकते चेहरे पर अब वक़्त ने हल्की झुर्रियां डाल दीं, आंखों के नीचे धकान

घर मे शादी का माहौल था । दुल्हा तैयार हो रहा था । बैण्ड बाजा सब तैयार था बस इंतजार था तो पहलवान ढोलवाले का।आस पास के सभी गांव मे उसके ढोल के बगैर कोई बारात नही निकलती थी वो बजाता ही ऐसा ढोल था कि जिसे

मैं शांत हूं दुनिया में, मगर शोर फैला है चहुंओर। किसी से लूटपाट हो रही है, कहीं लड़ाई का शोर। बालात्कार के किस्से छप रहे, हर रोज अखबार में। दरिंदे घूम रहे हैं , खुले बाजार में। अनाथ बच्चे भूख से, बिलख

मैंने कल जो कहा था वह आज सच हो गया है । मेरा भविष्यवक्ता का रूप भी अब स्थापित हो गया है । कल "वीर रस" की "टांग खिचाई" करते करते कह दिया था कि अभी तो और "रसों" को "निचोड़ने" का अवसर भी मिलेगा ।पर यह अवस

दिनांक: 06.04.2022समय :  रात 11: बजेप्रिय डायरी जी,आज मन बेहद ही क्लांत है। यूक्रेन के बूचा शहर में रूसी सेना ने जो तबाही मचाई है वो दिल दहला देने वाली है। शहर में हर तरफ बिखरी लाशें है। शहर मरघट

धन्यवाद पाकर शुभकामनाएं मन हुआ है गदगद दिल से दी गयी दुआएं करातीं अहसास सुखद मंगल कामनाओं के लिये करते आप सबका आभार आपकी भावनाओं के लिये है बारम्बार नमस्कार ☺️☺️🙏🙏🌻🌻

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